साहित्य लहर

कविता : प्यार की कसम

कविता : प्यार की कसम… अक्सर ख़ामोश रहती प्यार की नदी चांदनी रात में महकती सितारों की छांव में प्यार का आशियाना अक्सर रात भर तुम्हारा बहाना धूप की तरह किसी भूले बिसरे रास्ते पर आकर धूप की तरह से तुम्हारा गुनगुनाना सागर का रातभर शोर मचाना… #राजीव कुमार झा

जिंदगी में तुम
मुस्कान लुटाती
मन की बगिया को
महकाती
यादों में तुम
रंग-बिरंगे फूल सजाती
सबसे ज्यादा

याद तुम्हारी आती
लहरें समंदर की
चौड़ी छाती पर
रोज अठखेलियां करती
प्यार भरे होंठों पर
सुबह में हवा जिंदगी की
कसम
खाकर कहती

जहरीला नाग
सूरज के आंगन में
रोज फण फैला रहा
धरती काले बादलों से
घिरी
अक्सर ख़ामोश रहती
प्यार की नदी
चांदनी रात में महकती

सितारों की छांव में
प्यार का आशियाना
अक्सर
रात भर तुम्हारा बहाना
धूप की तरह
किसी भूले बिसरे रास्ते पर
आकर

धूप की तरह से
तुम्हारा गुनगुनाना
सागर का रातभर
शोर मचाना
प्यार की बहती नदी में
नहाना

दिल्ली में टेलीविजन इंडस्ट्री दोस्ती, मंतव्य और गुफ्तगू


कविता : प्यार की कसम... अक्सर ख़ामोश रहती प्यार की नदी चांदनी रात में महकती सितारों की छांव में प्यार का आशियाना अक्सर रात भर तुम्हारा बहाना धूप की तरह किसी भूले बिसरे रास्ते पर आकर धूप की तरह से तुम्हारा गुनगुनाना सागर का रातभर शोर मचाना... #राजीव कुमार झा

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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