कश्मीर के विस्थापित पंडित

कश्मीर के विस्थापित पंडित, 1947 में भारत विभाजन से यहां के मुसलमानों को सबसे ज्यादा दुख हुआ और वे खुद को गद्दार के रूप में देखने लगे थे . मुसलमानों ने काफी दुख उठाया… बिहार से राजीव कुमार झा की कलम से…

मनमोहन सिंह देश के बेहद अच्छे प्रधानमंत्री थे और यह भी मानना होगा कि वह एक कमजोर प्रधानमंत्री भी थे क्योंकि उनकी पार्टी को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं था और उन्हें समर्थन देने वाली पार्टियों के मंत्रियों ने सरकार के भीतर आकर भ्रष्टाचार किया और अंतत: जेल जाकर देश को शर्मशार किया और आज शासन सत्ता में फैले भ्रष्टाचार को मिटाना किसी चुनौती से कम नहीं है.

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के बीच जब प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए तो उनसे देश के आम लोगों के मन काफी आशाएं जग पड़ीं और तब से वह निरंतर गरीबों की खुशहाली में जुटे हैं और सबको स्वच्छता के अलावा पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में भी उन्होंने आगे बढ़ाया है.

आकाशवाणी से प्रसारित अपने कार्यक्रम मन की बात में वह पिछले कई सालों से हरेक सप्ताह देश विदेश समाज और यहां के विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन की खुशहाली से जुड़े मुद्दों पर सबसे बातचीत करते रहे हैं और इस दौरान उन्होंने बहुत ईमानदारी से तमाम जटिल मुद्दों पर सहमति कायम की है और देश विभिन्न हिस्सों की यात्रा से भी उन्हें सबको जानने समझने का मौका मिला है. कश्मीर में धारा 370 की समाप्त करने के बाद देश में आतंकवाद को खत्म करने में उन्हें सफलता मिली है.

यहां पाक अधिकृत कश्मीर पर भी उनके कार्यकाल में सेना ने उस पर अपना दावा जताता है और यह जरूरी है कि भारत अपनी पाकिस्तान नीति में किसी देश के रूप में पाकिस्तान के अस्तित्व को खारिज करके भारत के संपूर्ण एकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल को शुरू करे और यह देश के मुसलमानों की भागीदारी के बिना संभव नहीं है.

1947 में भारत विभाजन से यहां के मुसलमानों को सबसे ज्यादा दुख हुआ और वे खुद को गद्दार के रूप में देखने लगे थे . मुसलमानों ने काफी दुख उठाया और देश के बंटवारे ने उन्हें तोड़ कर रख दिया और इस दौरान पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की दशा देखकर सबका मन आहत हो जाता है.कश्मीर में वहां के विस्थापित पंडितों को घाटी में बसाना आज भी सरकार की योजनाओं में शामिल है और इसे राष्ट्रीय महत्व के कार्यों में स्थान दिया जाना चाहिए।

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