साहित्य लहर
बदलते लोग, बदलता संसार
शिवांश राय
भावरकोल, गाजीपुर (उ.प्र.)
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बीते वक्त की बात है, सबके अपने जज्बात हैं।।
कहीं है, अगर दुःख यहां, तो सुख भी उसके साथ है।।
ज़िन्दगी एक सवाल है, हर लम्हा जीने की सौगात है।।
हर दिन बीत रहा है, दर्द में अभी कुछ अंधेरी रात है।।
मंजिल की तलाश है, मेहनत पर विश्वास है।।
दर्द सहकर भी जो आगे बढ़ जाए, उसी पर ईश्वर का हाथ है।।
ढल गए ,है हम कुछ इरादो के साथ, बस कुछ वक्त की बात है।।
दर्द मे रहकर भी संभल रहे है, सर पर मां का जो हाथ है,।।
सब-कुछ बदल रहा यहां, बस अपने हमारे साथ है।।
दूसरे भी अपने हो गए हैं, सबकुछ वाणी की मिठास है।।
हम नहीं बदले हैं, यहां बस कुछ लोगो का विश्वास है।।