साहित्य लहर
मतलबी दुनियाँ
शिवांश राय
चांदपुर, भावरकोल, गाजीपुर
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नज़रें नीची है, दिल सरमसार है,,
आजकल के लोगों का क्या विचार हैं,,
हर दिन जीने का एक नया हथियार हैं,,
जो डूबा हैं,, चन्द पैसों में उसकी भी नईया पार है,,।।
कोई अपनी अकड़ मजबूत कर रहा है,,
तो कोई अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है,,
कोई ग़लत काम करके कारागार में सड़ रहा है,,
इसलिए हर इंसान बंधनों से जकड़ रहा है,,।।
किसी के लफ़्ज़ों में तलवार की धार है,,
हर दिन खामोशी का एक नया हथियार हैं,,
कैसे ये लोग हैं, यहां जीवन पहाड़ है,,
आजकल जीवन में खामोशीयो का बहार है,,।।
कोई जीत कर हार रहा है,,
कोई हार कर जीत रहा है,,
किसी का दिन खामोशी में,,
तो किसी का खुशियों में बीत रहा है।।