साहित्य लहर
पद-चिन्ह अपने छोड़ जाते
कौशल किशोर मौर्य ‘दक्ष’
जिंदगी एक राह है
जिस पर बहुत से मोड़ हैं।
कब? कहाँ? कोई मिले
इसका न कोई जोड़ है।
इक नजर या इक हँसी
पर्याप्त जुड़ने के लिए।
सादगी तन पर, वचन में
खूब खिंचने के लिए।
गुफ्तगू कितनी खिंची
होता समय का भान ना।
प्रेम से जो पल बिताये
वे असंभव भूलना।
है अनिश्चित सब यहाँ पर
कौन घटना? कब घटे?
कौन? कब? बैठे हृदय में
कौन? कब? हिय से हटे।
कटु वचन बस एक काफी
दूर होने के लिए।
और संबंधों की रसता
को मिटाने के लिए।
चाहता है कौन प्रिय से
दूर होना इस जगत में।
किन्तु ये भी सत्य है मिलता
न कुछ इच्छित जगत में।
होते हैं कुछ ऐसे भी
,अनचाहे, पथ जो छूट जाते।
किन्तु हिय की बाट पर
पद-चिन्ह अपने छोड़ जाते।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »कौशल किशोर मौर्य ‘दक्षमीतौं, सण्डीला, हरदोई (यूपी) | मो. नं. : 8090051242Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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