फीचरसाहित्य लहर

अनमोल लघुकथा संग्रहों में एक “संवेदनाओं के स्वर”

पाठकों के मन मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ने में सफल है "संवेदनाओं के स्वर"

समीक्षक कुमार संदीप

पुस्तक
संवेदनाओं के स्वर (लघुकथा संग्रह)
लघुकथाकार
विजयानंद विजय
पुस्तक मूल्य
170 रुपये
प्रकाशक
समदर्शी प्रकाशन, मेरठ (उ.प्र)
समीक्षक
कुमार संदीप

आदरणीय विजयानंद विजय जी की प्रथम एकल कृति है- “संवेदनाओं के स्वर”। यह पुस्तक अनमोल लघुकथा संग्रहों में एक है, यह कहना किंचित भी असत्य नहीं होगा। पाठक यदि मन से इस पुस्तक में सम्मिलित लघुकथाओं को पढ़ेगा, तो उसे इस पुस्तक के शीर्षक की सार्थकता साफ-साफ स्पष्ट हो जाएगी।

पुस्तक के शीर्षक के अनुकूल इसमें रचनाएँ भी हैं। लेखक ने समाज के विभिन्न बिंदुओं पर दृष्टि डालते हुए सार्थक संदेशों को हमारे बीच परोसने की कोशिश की है। पुस्तक में कुल 90 लघुकथाएं सम्मिलित हैं। सभी लघुकथाएं हमारे मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ने में सफल हैं।

वैसे तो पुस्तक में सम्मिलित हर लघुकथा बेहद सार्थक संदेश से ओतप्रोत है,परंतु कुछेक रचनाओं का जिक्र करने के मोह से मैं ख़ुद को वंचित नहीं कर पा रहा हूँ। पुस्तक में लिखित प्रथम लघुकथा “ख़ुशी” ही बेहद संदेशप्रद है। लेखक ने इस लघुकथा की मदद से हमारे बीच गूढ़ संदेश परोसने की कोशिश की है।

बेजुबान जानवरों के प्रति भी हमें उदारता का भाव दिखाना चाहिए, उनके हिस्से में भी हम अपने हिस्से की कुछ ख़ुशी यदि अर्पित करें, तो उनका जीवन भी आनंद से भर जाता है। एक बच्ची जब भूखे श्वान-शावक के बीच भोजन रख देती है, तो शावक भोजन करने के लिए टूट पड़ते हैं। और ऐसा करके उस बच्ची को काफी ख़ुशी मिलती है।

लेखक ने यह संदेश दिया है कि उस बच्ची की भाँति हमें भी बेजुबान जानवरों के हित के संदर्भ में सोचना ही नहीं, बल्कि उनके हिस्से में ख़ुशियाँ अर्पित करने की भरसक कोशिश करनी चाहिए। ” झूठा सच ” लघुकथा भी अत्यंत प्रिय लगी। इस लघुकथा में भी सार्थक संदेश निहित है। अधिकांशतः भाषण देने के क्रम में सत्ताधारी नेता झूठा सच ही जनता के समक्ष परोसते हैं, वास्तविकता उसमें किंचित भी नहीं होती है, यह व्यक्त करने की अच्छी कोशिश की गई है इस लघुकथा की मदद से।

लघुकथा ” फर्ज़ ” पढ़ते वक्त एक वक्त के लिए आँखें भींग गईं। सैनिक के लिए परिवार से भी अधिक महत्वपूर्ण फ़र्ज़ निभाना होता है, इस बात को भलीभाँति इस लघुकथा में दर्शाया गया है। “ग्लानि” लघुकथा की अंतिम पंक्ति पढ़कर आँखें भींग गईं। हमें किसी की वास्तविक स्थिति का भान करके ही उसे कुछ कहना चाहिए, इस लघुकथा में इस संदेश को भलीभाँति दर्शाया गया है। “तलाश” लघुकथा प्रकृति की रक्षा का गूढ़ संदेश देती है।

इसीलिए मैंने आरंभ में ही कहा कि लेखक ने लघुकथाएं लिखने के क्रम में हर बिंदुओं पर पैनी नज़र डाली है। “लाइक” लघुकथा में वर्तमान परिस्थिति का दर्शन है। आज की दुनिया लाइक व कमेंट में इतनी उलझ चुकी है कि अपने परिजनों से भी रिश्तों की डोर मजबूत करने में असफल हो रही है। “रिक्शेवाला” लघुकथा में रिक्शेवाले के दर्द को व्यक्त किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा आ जाने के कारण रिक्शेवालों की ज़िंदगी की गाड़ी भी कहीं-न-कहीं रुक-सी गई है।

“सूखी रोटियाँ” लघुकथा अन्य लघुकथाओं की भाँति ही अत्यंत प्रिय लगी। इस लघुकथा में यह व्यक्त करने की कोशिश की गई कि न केवल अच्छे लोगों में बल्कि लुटेरों के उर में भी संवेदनाएँ शामिल होती हैं। उनके हृदय में भी दया का भाव होता है। “जुगनू अँधेरों के” लघुकथा में एक आदर्श किसान की उदारता व आदर्श किसान की आत्मा में निहित प्रेमभाव को व्यक्त करने की सुंदर कोशिश की गई है। “भारत माता की जय” लघुकथा बेहद शिक्षात्मक लघुकथा है, जिसमें दर्शाया गया है कि जो इंसान सार्थक बातें सबके समक्ष रखता है दुनिया उसे पागल कहती है।

“समय-समय की बात” लघुकथा शिक्षाप्रद लघुकथा है। इसमें वृक्ष व कोमल घास के बीच संवाद के माध्यम से सार्थक संदेश दिया गया है। “जैकेट” लघुकथा पढ़ने के उपरांत मन भावविभोर हो गया। पिता स्वर्गवासी हो जाते हैं, पर पिता जो वस्तु छोड़़कर जाते हैं, वह हमें उनकी उपस्थिति का संकेत हर पल देती रहती है। लघुकथा “कड़़वाहट” में पेड़ और बंदर के बीच वार्तालाप को पढ़कर मन भावनाओं से भींग गया। “ओ लंगड़े” लघुकथा शिक्षाप्रद लघुकथा है।

इस लघुकथा में यह संदेश दिया गया है कि शारीरिक विकार से ज्यादा घातक है मानसिक विकार। अर्थात् शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बावजूद अगर नज़रिए में गंदगी है, तो उस शख्स की कोई अहमियत नहीं रह जाती है।

इस प्रकार हम देखें तो पुस्तक में सम्मिलित हर लघुकथा समाज में सकारात्मकता का महौल कायम करने में सक्षम है। न केवल इस पुस्तक की लघुकथाएं ही पाठकों के मन को मोह लेने में सक्षम हैं, बल्कि पुस्तक का आवरण पृष्ठ भी गूढ़ संदेश देने में सफल है। आवरण पृष्ठ पर एक शख्स दूसरे का हाथ थामता हुआ दिख रहा है।

आवरण पृष्ठ को देखकर ऐसा लग रहा है कि लेखक स्वयं समाज का हाथ थामकर यह विश्वास दिलाना चाह रहे हैं कि पुस्तक में सम्मिलित लघुकथाएं पत्थर दिल में भी संवेदना जागृत करने में सक्षम हैं।

किसी ख़ास और करीबी मित्र,स्वजनों को यदि आप कुछ बेहतर उपहार देना चाहते हों, तो मेरे अनुसार उनके लिए यह पुस्तक श्रेष्ठ भेंट होगी। यह पुस्तक आपके स्वजन को, मित्र को आदर्श इंसान के हर गुणों से परिपूर्ण बनाएगी।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

कुमार संदीप

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम-सिमरा, पोस्ट-श्री कांत, अंचल-बंदरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) | Mob : +91-6299697700

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights