साहित्य लहर

जश्न-ए-नया साल में…

आशीष तिवारी निर्मल

न जाने कैसे-कैसे जंजाल में पड़े हुए हैं लोग,
दिखावे के लिए जश्न-ए-नया साल में अड़े हुए हैं लोग।

वही चीखें,घुटन,बेबसी महामारी कोरोना ग़म,
फर्श पर यहाँ-वहाँ अस्पताल में पड़े हुए हैं लोग।

अब आएंगे या तब आएंगे अच्छे वाले दिन,
साहब के बिछाए इसी जाल में पड़े हुए हैं लोग।

भुखमरी,गरीबी बेरोजगारी नित बढ़ती महंगाई,
न पूछो कि अब किस हाल में पड़े हुए हैं लोग।

मंजिल का पता-ठिकाना तो पता है सबको मगर,
अपनी-अपनी अलग चाल में पड़े हुए हैं लोग।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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आशीष तिवारी निर्मल

कवि, लेखक एवं पत्रकार

Address »
मकान नंबर 702 लालगाँव, जिला रीवा (मध्य प्रदेश) | Mob : 8602929616

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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