साहित्य लहर

है स्वार्थ फिजूल…!

मो. मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

क्या याद करें?
क्या जाएं भूल?
हैं इंसानों के स्वार्थी उसूल!

याद उसे ही रखते हैं
हित अपने जिन सधते हैं

शेष कभी नहीं तकते हैं
भले हानि में रहते हैं

सोच नहीं ये विकास के
खोलते राह विनाश के!

गुणधर्म के आधार पर,
मानव सदैव तू न्याय कर!
उन्हें भी कभी याद कर
उनके लिए भी फरियाद कर

करो उनके लिए भी आंखें नम
करो सहयोग उनका हरदम

जो वंचित हैं , संकुचित हैं
प्रगति की राह में हैं पिछड़े
अपनों से हैं वे बिछड़े

ये भी कभी थे रेस का घोड़ा
वक्त ने मारा इन पे है हथोड़ा
प्रेम चाहिए इन्हें थोड़ा थोड़ा

प्यार पाकर पल जाएंगे
किस्मत अपनी बदल पाएंगे
यही मानव का है सद्कर्म

बाकी मिथ्या और है वहम
यही सर्वकालिक अहम!


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूर

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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