_____

Government Advertisement

_____

Government Advertisement

_____

आपके विचार

‘विजय दिवस’ : भारतीय सेना की शौर्य गाथा

ओम प्रकाश उनियाल (स्वतंत्र पत्रकार)

भारतीयों सैनिकों की शौर्य गाथाओं का जितना भी वर्णन किया जाए उतना ही कम है। अलग अंदाज, अलग रणनीति के तहत जंग जीतने की कुशलता और कुशल नेतृत्व ही उनको आगे बढ़ने को प्रेरित करती है उनका मनोबल बनाए रखती है।

ऐसी ही एक शौर्य गाथा 16 दिसंबर 1971 को भी भारतीय जाबांजो द्वारा लिखी गयी थी। तभी तो आज का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन् 1971 में जब भारत-पाक के बीच जंग छिड़ी थी जिसमें भारत के कई वीर सैनिक शहीद भी हुए थे।

उनकी कुर्बानी और अदम्य साहस ने पाकिस्तान पर भारत की जीत हासिल करवायी थी। पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था तब। हार भी ऐसी कि आजीवन सबक सिखाने वाली। तब जन्म हुआ था एक नए देश का।

पाक का पूर्वी पाकिस्तान जो कि आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है। बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की थी भारतीय सेना ने। इस युद्ध के अंत में पाकिस्तानी सेना के 93 हजार सैनिकों को समर्पण करना पड़ा था, भारतीय सेना के आगे।

16 दिसंबर को पाक सेना के कमांडर ले.जन. नियाजी ने आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे।’विजय दिवस’ का इतिहास उन तमाम सैनिकों का स्मरण कराता रहेगा जिन्होंने देश की खातिर अपनी जान की परवाह न करते हुए यह जंग लड़ी थी।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

Address »
कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights