साहित्य लहर

तनिक करें विचार

नवाब मंजूर

आती बारी
सबकी बारी
बारी बारी!
भेद न इसमें
म्हारी थारी।

निकले पल में-
सारी होशियारी
फिर काहे की?
यह होशियारी!

छोड़ो लड़ाई
इसी में भलाई
और समय-समय पर
मलाई ही मलाई
यही जीवन की गूढ़ सच्चाई।

मिलकर रहें सभी
हैं भाई भाई
सबकी किस्मत है
अपनी अपनी भाई
ईर्ष्या द्वेश न रखो साईं
जो आया है एक दिन जाई

हंसी खुशी से मिलजुलकर
जीवन जीते जाईं
ईह लोक ऊह लोक-
दोनों सुधर जाई
इससे ज्यादा एक इंसान
क्या मानव जीवन से पाई!


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो.मंजूर आलम ‘नवाब मंजूर

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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