साहित्य लहर

पहाड़

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

हरे -भरे पेड़,
हरी- हरी नरम घास,
नाचते मोर-चहकती चिड़ियां,
फूलों पर मंडराते भंवरे,
हवा में इठलाती तितलियां
पहाड़ों को सुंदर/
बहुत सुंदर बनाते हैं ।

परंतु पहाड़ अपने सीने में
असीम दर्द छिपाए हुए हैं
पहाड़ हमें दिखते-
हंसते- मुस्कराते
दूर से…

हमने पहाड़ को बहुत दर्द दिया है
विकास के नाम पर !
हमने अपने स्वार्थ के लिए
कमजोर कर दिया पहाड़ को ।
वे टूट रहे हैं, तिल- तिल मर रहे हैं
अपने आंसू नहीं दिखा सकते किसी को-
पहाड़ है न इसलिए…


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

लेखक एवं कवि

Address »
ग्राम रिहावली, डाकघर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, (उत्तर प्रदेश) मो.: 9876777233

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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