साहित्य लहर

कविता : शिक्षा

कविता : शिक्षा… सीखते बस सीखते आगे ही आगे चलते जाइए आयेगा अमृतकाल यह निश्चित मानिए अगर करो हर क्षण का सद्पयोग तुम तो, कंगाली का काला घेरा टूटकर समृद्धि का सागर लहराएगा #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, आगरा, उत्तर प्रदेश

फूल खिलने से पहले न तोड़िए
वरना मनभावन महक न आ पायेगी

बच्चों को शिक्षित हर हाल में बनाईए
वरना राष्ट्र की नींव मजबूत न बन पायेगी

हम अगर सो गए आलस में तो,
महज पछतावे के हाथ में कुछ न आएगा

तोड़कर बंधन अज्ञान के, नायक बन जाइए
छटेगा घना कुहरा भी, सूरज बन चमक जाइए

सीखते बस सीखते आगे ही आगे चलते जाइए
आयेगा अमृतकाल यह निश्चित मानिए




अगर करो हर क्षण का सद्पयोग तुम तो,
कंगाली का काला घेरा टूटकर समृद्धि का सागर लहराएगा




मेहनत और शिक्षा से खुलेंगे द्वार प्रगति के
बस अच्छे कर्म ईमानदारी से अपने करते जाइए

वो भी क्या दिन थे…


कविता : शिक्षा... सीखते बस सीखते आगे ही आगे चलते जाइए आयेगा अमृतकाल यह निश्चित मानिए अगर करो हर क्षण का सद्पयोग तुम तो, कंगाली का काला घेरा टूटकर समृद्धि का सागर लहराएगा #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, आगरा, उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights