कविता : राम आए हैं
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प्रखरता राम तत्व की अंतरात्मा में है दिख रही। आस्था उमड़ भक्त में,प्रतिपल अंतर मन गही। जनक दुलारी जानकी सीता, उमा नमन की रीत। # सुश्री सुजाता कुमारी चौधरी, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
राम आए है,सुनी पड़ी अयोध्या को महकने वाली है।
जगमग दीप प्रज्ज्वलित जले अयोध्या फिर से रौशन होने वाली है।
चैत्र माह शुक्लपक्ष की नवमी, प्राकट्योत्सव हम पा रहे।
शुभ आगमन राम का यह, रामनवमी पर्व हम मना रहे।
धूम है अब राम की, कण-कण का यह ही सार है।
सृष्टि भी है झूमती,यही मेरा भी आधार है।
राम पूजन आनंद फैला चहुं छोर।
सबके दिल में बस कर,रमण करते हैं सब ओर।
सजल नयन हैं प्यार में, मिलें राम मन मीत।
वरद हस्त दें मात हे, सकें धनुष को जीत।
प्रखरता राम तत्व की अंतरात्मा में है दिख रही।
आस्था उमड़ भक्त में,प्रतिपल अंतर मन गही।
जनक दुलारी जानकी सीता, उमा नमन की रीत।
नयन मिले जब बाग में, उदित राम से प्रीत।
विश्व भर में बने मन्दिर, अर्चन उनका हो रहा।
राम-नाम ही सत्य है, यह तो जमाना कह रहा।
लांघ गया सौ योजन सिंधु कर रामनाम जयकार।
तिर जाते पत्थर पानी में राम जग के सृजन हार।
मार कर रावण को, राम जी बलवान हैं।
वंदना माँ करता, भक्ति से हनुमान है।
रश्मियाँ फैला रहा दिनकर नवल।
कोकिला बोले सघन बन में चपल।
जब मन हमारा राम से मिलेगा।
अंतस का राम तत्व जगेगा।
मंदिरों में घंटियाँ बजने लगीं,नित्य पूजा अर्चना सजने लगीं।
दिव्य दर्शन को सभी मंदिर चले,प्रार्थना करके सभी फूले फले।
धैर्य त्यागो मत माँ, सौम्यता अति मान है।
वंदना माँ करता, भक्ति से हनुमान हैं।
नित ध्यान अब धरूँ मैं, नित आरती सुनाऊँ।
पूजा करूँ तुम्हारी, वंदन सदैव गाऊँ।©®