फीचरसाहित्य लहर

कविताओं में जीवन की समग्र बातों को आत्मीयता से जानने समझने की चेष्टा

साक्षात्कार : कवयित्री संतोषी चोरडिया

एक कवयित्री होने के नाते मैं समाज से एक बात साझा करना चाहती हूं। किसी भी कारण से अपना जुनून और उम्मीद कभी न छोड़ें। हर व्यक्ति की अपनी एक अनोखी प्रतिभा होती है। तो आपको उसे पहचानना होगा, फिर उसे सीखना होगा, कैसे उपयोग करना है और आने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

कवयित्री संतोषी चोरडिया की कविताओं में जीवन की समग्र बातों को आत्मीयता से जानने समझने की चेष्टा सहजता से आहट लेती दिखाई देती है। प्रस्तुत है इनसे राजीव कुमार झा की रोचक बातचीत…

प्रश्न :आप अपने घर द्वार परिवार शिक्षा लेखन और जीवन की अन्य बातों के बारे में बताएं?

उत्तर: नमस्ते! मेरा नाम संतोषी चोरडिया है मैं कोलार गोल्ड फील्ड्स, कर्नाटक से हूं, हमारे परिवार में सात सदस्य हैं। दरअसल मेरा जन्म और पालन-पोषण पांडिचेरी में हुआ है। मेरी शादी कर्नाटक में हुई है.. मैंने बी.कॉम ऑफिस मैनेजमेंट, सीएस इंटर की पढ़ाई पूरी की है और फिर पुडुचेरी में आईटी एंटरप्राइज में 3 साल तक अकाउंटेंट के रूप में काम किया। लिखने का जुनून स्कूली शिक्षा से ही शुरू हो गया था.. लेकिन बीच में मैंने आदत छोड़ दी.. फिर पिछले साल फिर से शुरू किया

प्रश्न : आपकी ज्यादातर कविताएं अंग्रेजी में हैं। इसके अलावा हिंदी में भी कविता लेखन करती रही हैं। कविताओं में अपनी अभिव्यक्ति के बारे में बताएं।

उत्तर : मैं पिछले साल से अंग्रेजी में कविताएँ लिख रहा था.. एक दिन मैंने सोचा कि क्यों न मैं हिंदी में भी लिखने की कोशिश करूं?
हिंदी मेरी भी मातृभाषा है…जैसे-जैसे हम अंग्रेजी बढ़ाएंगे कुछ अभिव्यक्तियां हिंदी में अधिक होंगी

प्रश्न: आप जैन मतावलंबी हैं और कर्नाटक में रहती हैं। अपने शहर और इसके बारे में जानकारी दें।

उत्तर: मैं जैन समुदाय से हूं हम कहते हैं श्वेदांबर जैन केजीएफ, बेंगलुरु से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां अधिकतर लोग पहले कन्नड़, फिर हिंदी और फिर तमिल भाषा बोलते हैं केजीएफ ब्रिटिश काल की सोने की खदानों के लिए जाना जाता है। इस शहर के मुख्य दो क्षेत्र हैं। “रॉबर्टसनपेट” और “एंडरसनपेट” यहां कई जैन धर्मावलंबी कई वर्षों से निवास कर रहे हैं

प्रश्न :आपने जिन लेखकों कवियों को पढ़ा है उनके बारे में बताइए?

उत्तर: मैंने अब तक लेखिका श्री वर्षिणी, स्मिता सत्यन और नव्या की कई कविताएँ पढ़ी हैं…उसमें मैं श्री वर्षिणी की लेखन और प्रस्तुति के तरीके की उत्कृष्टता का प्रशंसक बन गई| जैसे कि उन्होंने नोबेल पुरस्कार, ऑस्कर पुरस्कार और कई पदक और ट्राफियां जीती हैं। उन्होंने 400 से अधिक संकलनों में भाग लिया है।

प्रश्न : :अपनी लिखी कोई पसंदीदा कविता यहां प्रस्तुत कीजिए?

काश वो मेरे वर होते!

जो राजा इस शिवधनुष को उठाएगा
वो ही मिथिला की राजकुमारी का स्वयंवर रचाएगा।
रावण सहित कई राजाओं ने इसके लिए सर्वश्रेष्ठ यत्न किया
लेकिन कोई भी धनुष को उठाने में सफल नहीं हुआ
वे अपने अहंकार के कारण असफल हुए लेकिन एक राजा था, जिसमें चार गुण था।
वह न केवल सुंदर था बल्कि उसकी आँखों में शीतलता भी थी।
मुझे इस बात पर आश्चर्य हो रहा है, उन्होंने ना ही,
भगवान और “शिव धनुष” को उठाने से पहले
उनको कैसे प्रणाम किया, बल्कि विवाह के अंदेशे में एक स्त्री का सम्मान भी बढ़ा दिया।
काश ऐसे स्वयंवर मेरे सौभाग्य में होते।
और मेरे वर “रघुवंशी श्रीराम” होते।

” उत्साह का मतलब क्या है?”
मैं आपको” उत्साह” का सर्वोत्तम उदाहरण दूंगी,
हमारा जीवन भी एक “नदी” जैसा है,
यह अस्तित्व मैं, अपनी ही दिशा में यात्रा करती है
उसी तरह हमें आकांक्षा के साथ, अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए!
कुछ लोग पक्ष में दीप जलाएंगे,
कुछ लोग पुष्पवर्षा करके इसे स्वीकार करेंगे,
और कुछ लोग, हमारे साथ खेलने के लिए पत्थर उछालेंगे,
जिन्हें हम नफरत करने वाले कहते हैं..
नदी की तरह, हमें भी आगे बढ़ते रहना है..

कवयित्री के रूप में समाज को क्या संदेश देना चाहती हैं?
उत्तर: एक कवयित्री होने के नाते मैं समाज से एक बात साझा करना चाहती हूं। किसी भी कारण से अपना जुनून और उम्मीद कभी न छोड़ें। हर व्यक्ति की अपनी एक अनोखी प्रतिभा होती है। तो आपको उसे पहचानना होगा, फिर उसे सीखना होगा, कैसे उपयोग करना है और आने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। लोग आपकी बात कभी नहीं सुनेंगे, अगर आप कहेंगे “मैं जीत जाऊंगी”| इसके बजाय आपको पहले सफल होना होगा और फिर बोलना होगा।


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