साहित्य लहर

कविता : आई होली

ढेर सारे पकवानों की सौगात लाती है, घर-घर अल्पना रंगोली से सजाती है, भर पिचकारी मारो रंग डालो होली है, देखो- देखो फिर रंग लेकर आई होली है… #सत्यवती आचार्य, चंडीगढ़

देखो- देखो फिर रंग ले कर आई होली है
हर दिल में उमंग भर लाई होली है
रंग और उमंग संग लाई हमजोली है
भर पिचकारी मारो रंग डालो होली है
देखो -देखो फिर रंग लेकर आई होली है

चहुँओर होली के उमंग भरे रंग हैं
रंग और उमंग संग प्रीत के तरंग हैं
रंग संग भंग की भी थाल टोली संग है
आओ मिलकर खेलें होली संग संग हैं
भर पिचकारी मारो रंग डालो होली है
देखो-देखो फिर रंग लेकर आई होली है

होली हर साल नए रंग लेकर आती है
प्रेम और भाईचारे का सन्देश लाती है
ढेर सारे पकवानों की सौगात लाती है
घर-घर अल्पना रंगोली से सजाती है
भर पिचकारी मारो रंग डालो होली है
देखो- देखो फिर रंग लेकर आई होली है


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