आपके विचार

केवल राम नाम ही ‘सत्य’ है

वेदोक्त शास्त्रोक्त मंत्रों के विधि-विधान का ध्यान रखना होता है अन्यथा उनसे कम या ज्यादा मात्र में अनिष्ठ होने की संभावना होती है। लेकिन श्रीराम का नाम तो उल्टा भी लेना पुण्यकारी है और जीवन को बदलने में सक्षम है। अंत में बस इतना ही कि राम नाम ग्रंथों में सबसे छोटा और सबसे सटीक मंत्र कहा गया है. #पंकज कुमार शर्मा “प्रखर”, कोटा (राज.)

राम नाम सत्य है’ ये जीवन का अंतिम सत्य है क्यों न इसे जीवन के अंत से पहले ही जान लिया जाये मान लिया जाये। श्रीराम भारतीय संस्कृति के गौरव और एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो त्रेतायुग से लेकर आज तक प्रासंगिक बने हुए हैं। श्रीराम का व्यक्तित्व जितना बहुआयामी है उतना ही उनका स्वभाव सरल है। उनके चरित्र में जिन महत्वपूर्ण गुण का समावेश मिलता है उतना इतिहास में शायद ही कोई अवतार हो जिसमें ऐसे गुणों के दर्शन होते हों।

‘राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्रनाम ततुल्यम राम नाम वरानने।।’ ये कौन कह रहा है? ये राम नाम की महिमा बताते हुए शिवजी पार्वती जी से कहते हैं कि एक बार ‘राम’ शब्द का उच्चारण करना विष्णु सहस्त्रनाम के बराबर माना जाता है। चहुँ जुग तीनि काल तिहुँलोका। भए नाम जपि जीव बिसोका।। बेदपुरान संत मत एहु। सकल सुकृत राम सनेहु।। अर्थात चारों युगों में, तीनों कालों में और तीनों लोकों में, नाम को जप कर जीव शोक रहित हुए हैं। वेद, पुराण और संतों का मत यही है कि समस्त पुण्यों का फल श्रीरामजी या राम नाम में प्रेम होना है।

‘श्रीराम’ ये शब्द जितना छोटा है उतना ही इसका प्रभाव विस्तृत और विशाल है। पुराण कहते हैं “रमंते सर्वत्र इति रामः” अर्थात जो सब जगह व्याप्त है वह राम हैं। सृष्टि के पालक श्री के पति श्रीमन्नारायण ने जब धरती पर एक साधारण मानव के रूप में जन्म लिया तब समूची स्रष्टि आनंदमग्न होकर उस पालक का अभिनंदन करने लगी। जो हम मनुष्यों के पालनहार के रूप में सदैव हमारे साथ ह।|

प्राचीन काल के महापुरुषों से लेकर आज आधुनिक काल तक के महापुरुषों ने श्रीराम के नाम को गाया है। वाल्मीकि की रामायण और तुलसी बाबा की श्रीरामचरित मानस की व्याख्या अभी तक कई महापुरुषों द्वारा की जा चुकी है लेकिन ‘हरि अनंत हरि कथा अनंता’ यह कथा जितनी बार भी सुनी जाती या कही जाती है उतने ही जीवन मूल्य और अर्थ हमारे सामने प्रस्तुत करती है। एक और विशेष बात जो इस कथा से जोड़ती है वह है कि श्रीराम के जीवन चरित्र और उनके गुणों का जिन महापुरुषों ने वर्णन किया है वे महापुरुष अपने समय के महाविलासी, स्त्री-लम्पट और डाकु-लुटेरे के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं।

अपने समय के प्रसिद्ध ‘रत्नाकार’ डाकु जो आगे चलकर वाल्मीकि हुए एक पथभृष्ट डाकु लुटेरे थे। जो लोगों को मारकर उनका धन हर लेते थे। ऐसे व्यक्ति द्वारा श्री श्रीराम के जीवन उच्चादर्शों की व्याख्या की जाना अपने आप में बहुत ही विशेष और बड़ी घटना है। इसी प्रकार का इतिहास मिलता है ‘रामबोला’ अर्थात तुलसी बाबा का जो स्त्री मोह में आसक्त थे और इतने आसक्त थे कि आज का सामान्य मनुष्य भी इतना आसक्त और विलासी जीवन नहीं जीता होगा जितना की अपने समय काल में श्रराम बोला ने जिया। लेकिन पत्नी की कटुवाणी से उनका मोह भंग हुआ और मन साधना में रम गया और वह पत्नी आसक्ति में लिप्त साधारण सा प्राणी ‘रामबोला’ से महान तुलसी दास हो गया।

ऐसा क्या हुआ कि इन दोनों ही महापुरुषों के जीवन में इतना बढ़ा बदलाव आ गया। उसका एक मात्र कारण था श्रीराम के नाम की महिमा जो स्वयं श्रीराम से भी बढ़ी और विशाल है ‘उल्टा नाम जपत जुग जाना वाल्मीकि भय बृह्म समाना।’ श्रीराम नाम की महिमा कि क्या कहें इस नाम को तो कोई उल्टा भी जप ले तो भी उसके जीवन में जो परिणाम आते है वो सीधे हो जाते हैं।

वेदोक्त शास्त्रोक्त मंत्रों के विधि-विधान का ध्यान रखना होता है अन्यथा उनसे कम या ज्यादा मात्र में अनिष्ठ होने की संभावना होती है। लेकिन श्रीराम का नाम तो उल्टा भी लेना पुण्यकारी है और जीवन को बदलने में सक्षम है। अंत में बस इतना ही कि राम नाम ग्रंथों में सबसे छोटा और सबसे सटीक मंत्र कहा गया है इसी लिए ….‘राम-राम रटते रहो, धरे रहो मन धीर।। पार वही लगायेंगे, कृपा सिन्धु रघुवीर।।‘


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights