राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट
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कितना गूढ़ रहस्य छिपा होता है इस वाक्य में। फिर भी हम पूरे जीवन में छल-कपट करने जैसे प्रपंच में तल्लीन रहते हैं। राम को जानना है तो पहले अपने अन्तर्मन से कलुषित विचारों का त्याग करना होगा। मनुष्य जीवन ही ऐसा है जिसे यह अवसर मिला है। सच्चे मन व निस्वार्थ भाव से प्रभु श्रीराम का नाम लेकर मुक्ति पाना आसान हो जाता है। संत कबीर दास ने भी कहा है- #ओम प्रकाश उनियाल
राम नाम की महिमा तो अपरंपार है। राम शब्द में एक ऐसा भाव छिपा है जिसको जपने से आत्मशुद्धि तो होती ही है कई कष्ट भी मिट जाते हैं। भले ही राम शब्द लिखने-बोलने में बहुत ही छोटा लगता हो लेकिन उसका सार बहुत ही गूढ़ है। हिन्दुओं के आदर्श हैं मर्यादा पुरुषोतम राम। हिन्दू धर्म में पूजे जाते हैं राम। राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। भगवान विष्णु का अवतार हैं वे।
भगवान राम के राज में प्रजा सुखी और खुशहाल थी। यह सब राम की महिमा के कारण था। इसीलिए उनके राज को रामराज कहा गया था। आदर्शवादी, आज्ञाकारी, मानवकल्याण, न्यायप्रिय चरित्र भगवान राम का था। आज भी उनके चरित्र का अनुसरण करने की प्रेरणा दी जाती है। इस घोर कलियुग में राम नाम भजने और उनके जैसा बनने का ढोंग रचने का प्रयास तो बहुत करते हैं लेकिन आत्मीयता से नहीं।
कहीं न कहीं इसके पीछे निजी स्वार्थ छिपा रहता है। सही मायनों में कहा जाए तो मुंह में राम-राम बगल में छुरी वाली कहावत राम के नाम का दुरुपयोग करने वाले ढोंगियों पर चरितार्थ होती है। राम-राम रटने में कोई बुराई नहीं है। जितना जुबान से राम नाम रटा जाएगा उतना ही जुबान परिष्कृत होगी। हिन्दू धर्म में जब किसी की मौत होती है तो मृत शरीर को श्मशान ले जाते समय ‘राम नाम सत्य है, सत्य बोलो गत है’ का उच्चारण किया जाता है।
कविता : एक बनों, नेक बनों व श्रेष्ठ बनो
कितना गूढ़ रहस्य छिपा होता है इस वाक्य में। फिर भी हम पूरे जीवन में छल-कपट करने जैसे प्रपंच में तल्लीन रहते हैं। राम को जानना है तो पहले अपने अन्तर्मन से कलुषित विचारों का त्याग करना होगा। मनुष्य जीवन ही ऐसा है जिसे यह अवसर मिला है। सच्चे मन व निस्वार्थ भाव से प्रभु श्रीराम का नाम लेकर मुक्ति पाना आसान हो जाता है। संत कबीर दास ने भी कहा है-
‘राम नाम की लूट है,लूट सके तो लूट।
फिर पाछे पछताएगा, प्राण जाएंगे जब छूट।।’