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आपके विचार

मंतव्य : संसद और देश की सुरक्षा राष्ट्र का सर्वोपरि विषय है

एक बार मैं संसद की कार्रवाई देखने की इच्छा लेकर वहां गया तो सुरक्षा अधिकारियों ने किसी कैबिनेट मंत्री का अनुशंसा पत्र लेकर आने के लिए कहा। संसद की कार्यवाही देखने के लिए आधार कार्ड लेकर भी लोग जाएं यह प्रावधान लागू होना चाहिए। यह यहां देश की आम जनता का सम्मान होगा। #राजीव कुमार झा

अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में भी संसद की सुरक्षा में चूक हुई थी और सुरक्षाकर्मी के तौर पर वहां तैनात दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने अपने प्राणोत्सर्ग से संसद की रक्षा की थी। इसमें दिल्ली पुलिस की महिला सिपाहियों ने भी आतंकवादियों से लड़ते हुए जीवन बलिदान किया था। मेरा मत है कि असुरक्षा और आतंक से घिरे वर्तमान परिवेश में पुलिस की व्यापक भूमिका को लेकर कोई निरर्थक विवाद से देश को बचना चाहिए।

संसद में कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर क्यों हंगामा कर रही है। संसद की सुरक्षा में क्यों चूक हो रही है? यहां सांसद के तौर पर भी साफ-सुथरी छवि के लोग आएं और आगामी लोकसभा चुनावों में सारी पार्टियां अपराधियों या उनकी पत्नियों को टिकट नहीं दें। अपराधी ज्यादा समझदार नहीं होते हैं और संभव है कि शेखी दिखाने के लिए वे पिस्तौल लेकर संसद में चले जाएं। मेटल डिटेक्टर को वहां गेट पर इसीलिए लगाया गया था। अच्छे लोग सांसद बनें।

जो कुछ काम की बात वहां बोल पाएं । थोड़ी बहुत अंग्रेजी भी जिन्हें आती हो और जो सहृदय हों । आज संसद में आवारे लोग शानो शौकत से आते हैं। वे 70 साल की उम्र में किसी युवा विवाहित महिला से उसके तलाक़ के बाद अपने विवाह की संभावनाओं से संसद को अवगत कराते हैं जबकि अनमेल विवाह अपराध है। संसद में 70 प्रतिशत आरक्षण का कानून नहीं पारित हो क्योंकि संविधान की मूल भावनाओं के यह प्रतिकूल है।

यह जरूरी है। राहुल गांधी को भी इस पर ध्यान देना चाहिए। हिंदी के महान कवि धूमिल ने संसद को आक्रोश में कभी किसी अबोध बच्चे के हाथों की जूजी बताया था। धूमिल नक्सली कवि नहीं थे। सरकार ने उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी दिया था लेकिन उनके काव्य आक्रोश की चपेट में संसद क्यों है इसके बारे में सबको सोचना चाहिए।

यहां एक साथ सदस्य के रूप में मां – बेटे ,पति – पत्नी, बाप -बेटे ,भाई- बहन को नहीं बैठना चाहिये और राजनीति में संकीर्ण सोच का केन्द्र या प्रतिबिम्ब यह संस्था नहीं बने । इसकी सुरक्षा सर्वोपरि हो। एक बार मैं संसद की कार्रवाई देखने की इच्छा लेकर वहां गया तो सुरक्षा अधिकारियों ने किसी कैबिनेट मंत्री का अनुशंसा पत्र लेकर आने के लिए कहा। संसद की कार्यवाही देखने के लिए आधार कार्ड लेकर भी लोग जाएं यह प्रावधान लागू होना चाहिए। यह यहां देश की आम जनता का सम्मान होगा।


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