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सशक्त नारी और सशक्त राष्ट्र

हर व्यक्ति में कुछ विशेष गुण और प्रतिभा होती हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर मौजूद गुणों और ब्रतिभा को पहचानना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि हर स्त्री व पुरूष को खुद पर भरोसा रखना चाहिए। जब तक देश की हर महिला आत्मनिर्भर नहीं होगी, तब तक देश प्रगति के रास्ते पर नहीं चल पायेगा। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

आज की नारी सशक्त नारी हैं। वे हर क्षेत्र में बखूबी काम कर रही हैं। यही वजह है कि आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां नारी कार्यरत न हो। राष्ट्र के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के पद पर एक नारी द्रौपदी मूर्मू विराजमान हैं और कुशलतापूर्वक कार्य कर राष्ट्र का मान सम्मान व गौरव बढा रही हैं। आज की नारी अपनी शक्ति को पहचान कर अपनी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं।

महिलाएं यदि स्वयं सशक्त होती है तो उससे केवल अकेली महिला ही नहीं अपितु उसका परिवार, समाज, देश व सम्पूर्ण विश्व भी सशक्त होता हैं। इसलिए महिलाओं को एकजुट कर महिला सशक्तिकरण को प्रभावी बनाया जा सकता हैं। एक बेहतर संसार के निर्माण के लिए महिलाओं के उत्थान की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। महिलाओं में अपार शक्ति और सामर्थ्य मौजूद हैं बस उसे जगाने और प्रोत्साहन देने की जरूरत है।

कठिन परिस्थितियों का सामना करने और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता ही हमें हमेंशा आगे बढाती हैं। तकनीकी दौर में हर किसी को हर वक्त अपडेट रहने की जरूरत है । यही वजह है कि आज कि नारी अबला नहीं, सबला हैं। वह अपनी कार्यशैली, कार्यकुशलता, अनुभव, प्रवीणता और दूरदर्शिता के बल पर वो निरंतर आगे बढ रही हैं। उपन्यासकार व कहानीकार मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है। जीवन नाम हैं आगे बढते रहने की लगन का।

हर व्यक्ति में कुछ विशेष गुण और प्रतिभा होती हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर मौजूद गुणों और ब्रतिभा को पहचानना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि हर स्त्री व पुरूष को खुद पर भरोसा रखना चाहिए। जब तक देश की हर महिला आत्मनिर्भर नहीं होगी, तब तक देश प्रगति के रास्ते पर नहीं चल पायेगा। यह भी सच है कि महिलाओं को अपने हिस्से की कामयाबी पाने के लिए संघर्ष अधिक करना पडता हैं। इसलिए उन्हें संघर्ष से हारना नहीं चाहिए।

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