कविता : छीन लेता है हर चीज मुझसे
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जो मुझसे दूरी बना देता है, तू सच में मेरे साथ है, या तुझे मेरी खुशी प्यारी नही, क्यूंकि जिसे भी कहदू ये मेरी है, फिर कल से ओ मेरी रहती नही, तू सच बताना ऐ खुदा, क्या खुशी हमारी हिस्से में नही #मनीष कुमार
छीन लेता है हर चीज मुझसे ऐ खुदा
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है
दे कर एक छोटी सी खुशी
उसे बड़ी दुखो में बदल देता है
जो भी चाहता हु मै
उसे देकर तू फिर छीन लेता है
सच में बताना ऐ खुदा
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है
मुझे जिससे भी थोड़ी खुसिया मिली
तू झट से उसे अपना लेता है
ओ सच में इतनी प्यारी है
जिन्हे तू अपना लेता है
या फिर ओ मेरे लायक नही
जो मुझसे दूरी बना देता है
तू सच में मेरे साथ है
या तुझे मेरी खुशी प्यारी नही
क्यूंकि जिसे भी कहदू ये मेरी है
फिर कल से ओ मेरी रहती नही
तू सच बताना ऐ खुदा
क्या खुशी हमारी हिस्से में नही
जिससे भी थोड़ी खुशियां मिली हमे
ओ फिर कल से हमारी होती नही
तू सच बताना ऐ खुदा
क्यू छीन लेता हैं हर चीज मुझसे
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब है
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