आपके विचार

विश्व पशु दिवस : बहुत ही संवेदनशील प्राणी है ‘जानवर’

ओम प्रकाश उनियाल

जानवर चाहे जंगली हो या पालतू उसकी पीड़ा, दर्द व भावना को इंसान को समझना चाहिए। बेजुबान अपने मन की भावना को किसी को बता नहीं पाता केवल उसके संकेतों से ही उसके भाव समझे जा सकते हैं। जानवर बहुत ही संवेदनशील प्राणी है। इंसान से वह कुछ नहीं चाहता केवल प्यार चाहता है। जो कि इंसान उसे आज तक नहीं दे पाया। पालतू जानवर है तो उससे केवल अधिक से अधिक काम लेने की मनोवृत्ति इंसान की है। या फिर विभिन्न प्रजातियों को अपनी थाली का हिस्सा बनाने का शौक पूरा करने की।

यही नहीं उन्हें मारकर उनके अंगों की तस्करी कर धन कमाने की लालसा भी। जंगली जानवरों को भी इंसान चैन से नहीं रहने देता। एक तरफ जंंगलों को नष्ट कर उनके घर उजाड़ने पर तुला हुआ है तो दूसरी तरफ उनके संरक्षण की बात करता है। मनुष्य की इस दोगली नीति से साफ पता चलता है कि जानवरों के प्रति उसके मन में कितनी दरियादिली है? जानवरों को बचाने के लिए दुनिया में न जाने कितनी सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाएं चल रही हैं पर सक्रिय कितनी हैं यदि आंकड़ा जुटाया जाए तो परिणाम संतोषजनक मिलेगा ही नहीं।

4 अक्टूबर को हर साल ‘विश्व पशु दिवस’ मनाया जाता है। जर्मनी से इसकी शुरुआत हुई थी और 1929 से पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा। इस दिवस को मनाने का मूल उद्देश्य पशुओं के अधिकारों का संरक्षण और कल्याण करने से है। जानवरों के प्रति क्रूरता, पशु अधिकारों का उल्लंघन करना जैेसे मुद्दों पर जागरूकता पैदा करना है। पशुओं के प्रति दया का भाव रखने, सामाजिक न्याय देने, सुरक्षा व बचाव करने से ही पशुओं और मनुष्य के बीच सामंजस्य बिठाया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights