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मई दिवस : श्रमिकों का उत्सव

मई दिवस : श्रमिकों का उत्सव, नियम बने होने के बावजूद भी उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है ना ही कार्य करने के घंटे निर्धारित होते हैं। मजदूर संगठन मजदूरों के हक की लड़ाई हमेशा जारी रखते हैं…  ✍🏻 ओम प्रकाश उनियाल

आज बेशक मशीनी युग है, नयी-नयी मशीनें हर काम के लिए उपयोग में लायी जा रही हैं लेकिन इसके बावजूद भी श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती ही है। श्रमिकों का अनेक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। देश के विकास में उनक भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

स्वयं शारीरिक श्रम करके जो अपनी आजीविका चलाता है वह श्रमिक या मजदूर कहलाता है। श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति सजग करने एवं अधिकारों की लड़ाई लड़ने वालों को सम्मान देने व अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।

अधिकतर देशों में 1 मई को ही यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को ‘मजदूर दिवस’, मई दिवस’ या ‘लेबर डे’ नाम से भी जाना जाता है। सन् 1886 की शिकागो घटना की स्मृति में यह दिवस प्रतिवर्ष 1 मई को मनाया जाता है। हालांकि, आज भी कई देशों में मजदूरों का शोषण खुलेआम होता है।

नियम बने होने के बावजूद भी उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है ना ही कार्य करने के घंटे निर्धारित होते हैं। मजदूर संगठन मजदूरों के हक की लड़ाई हमेशा जारी रखते हैं तथा मजदूरों को संगठित होकर रहने का आह्वान करते हैं। इस दिन श्रमिक विभिन्न मजदूर संगठनों के नेतृत्व में जुलूस निकालकर प्रदर्शन भी करते हैं। अपनी समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन को ज्ञापन देते हैं।

मजदूर-वर्ग की समस्याओं पर सरकार को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। वर्तमान सरकार ने मजदूरों के लिए श्रम-कार्ड बनाने की सुविधा दी हुई है। लेकिन दिहाड़ी करने वाले मजदूर ईएसआई जैसी सुविधा से भी वंचित हैं। मजदूर को वह सब सुविधाएं प्रदान करायी जाएं जिससे उसका एवं उसके परिवार का भविष्य सुखद बन सके।


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मई दिवस : श्रमिकों का उत्सव, नियम बने होने के बावजूद भी उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है ना ही कार्य करने के घंटे निर्धारित होते हैं। मजदूर संगठन मजदूरों के हक की लड़ाई हमेशा जारी रखते हैं... ओम प्रकाश उनियाल

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