साहित्य लहर
मुहब्बत
डॉ. भगवान सहाय मीना
गांव- सवाई माधोसिंह पुरा, पोस्ट-बाडा पदमपुरा, वाया-शिवदासपुरा, तहसील-चाकसू, जिला- जयपुर, राजस्थान
आंखों में थी आरज़ू मुलाकात की।
सागर जानता है बेबसी बरसात की।
न सही मैं बनूं हमसफ़र आपका,
क्यों हुई यूं बेदखली जज़्बात की।
याद आपकी आई नदी बाढ़ सी,
भूलने का तरीका बता ख्यालात की।
लौट के सो गए परिंदे शाम के,
मैयखाने से खबर नहीं रात की।
सुना हूं दीवारों के कान होते हैं,
करूं किससे चर्चें इस बात की।
इतनी बेगैरत नहीं मुहब्बत हमारी,
चांद से पूछ्ते है तारें औकात की।
रिश्तों के अदब की नजीर रह गई,
नहीं दुनिया देती दाद मेरी बिसात की।