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आदर्श संस्कार ही हमारी पहचान

आदर्श संस्कार ही हमारी पहचान हैं। हमारा अनमोल धन है। संस्कारवान लोगों को किसी के सहारे की जरूरत नही रहती हैं अपितु वे स्वंय दूसरों का सहारा बनते है। जीवन में इस बात का ध्यान… जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…

हौसला अफजाई भी एक कला है और इसके लिए सदैव सकारात्मक सोच ही होनी चाहिए। सकारात्मक सोच ही है जो हमें आगें बढाती हैं। जब हम दूसरों की हौसला अफजाई करते है तो वे भी नई ऊर्जा, सोच और विचारों के साथ आगे बढते हैं। नकारात्मक सोच के चलते हम किसी का भी हौसला अफजाई नहीं कर सकते। हमेंशा अपनी सोच अच्छी रखें। नजरियां सही रखें।

जैसे एक चन्द्रमा से जब ग्रहण लगता है तो हमें बुरा लगता हैं। चन्द्र ग्रहण से पूर्व ही सूतक लग जाता है लेकिन ग्रहण की समाप्ति पर तत्काल स्नान कर पवित्र होना पडता हैं, लेकिन वही चन्द्रमा एक दिन अमृत बरसाता है और उसकी चांदनी में हम खीर रखते हैं और यही चन्द्रमा उस रात अमृत बरसाता है ऐसा माना जाता है कि इस खीर के खाने से कई गंभीर रोग दूर हो जाते हैं।

शरद पूर्णिमा की खीर कितनी लाभदायक बन जाती हैं। चन्द्रमा वही है लेकिन ग्रहण लगना नकारात्मक सोच का प्रतीक है व शरद पूर्णिमा की खीर सकारात्मक सोच का प्रतीकज्ञहै। हमें शरद पूर्णिमा की रात्री बनकर समाज को एक नई ऊर्जा, नई रोशनी, नई दशा व दिशा देनी होगी ताकि युवापीढ़ी संस्कारवान व चरित्रवान बन सके और धर्म के मार्ग पर चल सके।

आदर्श संस्कार ही हमारी पहचान हैं। हमारा अनमोल धन है। संस्कारवान लोगों को किसी के सहारे की जरूरत नही रहती हैं अपितु वे स्वंय दूसरों का सहारा बनते है। जीवन में इस बात का ध्यान रखे कि हमारे हाथ से किसी का अहित या नुकसान न हो अगर कभी अनजाने में नुकसान हो जायें और उसका पता चल जाये तो तत्काल उससे क्षमा मांग कर अपनी गलती को सुधार लिजिए।

चूंकि भूल को सुधार लेने से सामने वाले का भी दुख कम हो जाता हैं और वह भी सोचता है कि उसने जानबूझ कर हमें नुकसान नहीं पहुचांया हैं । अगर यह नुकसान हम से हो जाता तो हम किसे दोषी ठहराते। क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं होता हैं। हमेंशा सत्य के पथ पर चलिए जीवन संवर जायेगा।

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आदर्श संस्कार ही हमारी पहचान, आदर्श संस्कार ही हमारी पहचान हैं। हमारा अनमोल धन है। संस्कारवान लोगों को किसी के सहारे की जरूरत नही रहती हैं अपितु वे स्वंय दूसरों का सहारा बनते है। जीवन में इस बात का ध्यान... जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से...

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