कविता : आदर्श संस्कार दीजिए
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सुनील कुमार माथुर
आप बच्चों को अच्छी शिक्षा दीजिए
बच्चों को उच्च शिक्षा दीजिए
अच्छा ज्ञान व अच्छी सोच दीजिए
पढनें लिखने के लिए अच्छी पुस्तकें कापियां और
अच्छा साहित्य दीजिए , खेल – खिलौने दीजिए
अच्छा भोजन खाने को दीजिए
पहनने के लिए अच्छे वस्त्र दीजिए
आलीशान बंगला रहने को दीजिए
घुमने – फिरने के लिए मंहगे से मंहगा वाहन दीजिए
तमाम प्रकार की भौतिक सुख – सुविधाएं दीजिए
लेकिन
आपने बच्चों को बचपन में आदर्श संस्कार नहीं दिये
तो समझिये कि आपने बच्चों को
जीवन में कुछ भी नहीं दिया हैं
हमारे संतों व महापुरुषों का कहना हैं कि
अगर बचपन में आपने बच्चों को
उसकी पसंद का खिलौना नहीं दिलाया तो
वह घंटे – दो घंटे रोकर चुप हो जायेगा या
पूरे दिन रोकर चुप हो जायेगा लेकिन
आपने बच्चों को बचपन में
आदर्श संस्कार नहीं दिये तो
वह आपका बच्चा जीवन भर रोता रहेगा अतः
बच्चों को आरम्भ से ही आदर्श संस्कार दीजिए और
बच्चे के जीवन को संवारे और निखारिये
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() | From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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