साहित्य लहर

कविता : बेटियां कुदरत का उपहार

सुनील कुमार माथुर

किसी साहित्य प्रेमी ने
कितनी सुन्दर पंक्तियां लिखी हैं
बेटियां दीये की तरह होती हैं
शादी करके जो वर उन्हें ले जाता हैं

उसी का घर जगमगाता हैं चूंकि
बेटियां दीये की तरह होती हैं
जिस घर में वह रहती है
उस घर में प्रेम व स्नेह की ज्योति जलती हैं

करूणा रूपी लौ जगमगाती हैं
ममता रूपी बाती जलती हैं तभी तो
वात्सल्य रूपी ज्योति जगमगाती हैं
बेटियां दीये की तरह होती हैं चूंकि
जिस तरह से एक दीपक
पूरे घर में रोशनी कर देता हैं

ठीक उसी प्रकार बेटियां
पूरे घर को एकता के सूत्र में बांधे रखती हैं
तभी तो
बेटियां जिस घर में जाती हैं

उसी का घर जगमगाता हैं
वैसे भी बेटियां कुदरत का उपहार है
इसलिए इन्हें
शिक्षा और दुलार दीजिए

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¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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