आपके विचार

बात से बात निकालना ही भाषण है…

एक छोटी सी कहानी तुम्हें जरूर समझ में आयेगी

मुल्ला नसीरूद्दीन चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव के मामले में वो जरा नये-नये ही थे। भाषण वगैरा उन्हें ढंग से देना आता नहीं था। चुनावी दौरे के समय उनके मित्र चन्दूलाल मारवाड़ी ने उनसे कहा कि भाई ऐसे भी क्या शरमाते हो। अरे! नेता होकर शर्म करते हो।

मुल्ला नसीरूद्दीन बोले कि मैं जरा इस क्षेत्र में नया-नया हूं और भाषण देने की कला मुझे आती भी नहीं, कि कैसे भाषण देना चाहिए। चन्दूलाल मारवाड़ी हंसने लगा और कहा कि अरे भाषण देना भी कोई कला है। बस! बात में से बात निकालते जाओ। यही तो भाषण का राज है। इसके बाद जो मुल्ला नसीरूद्दीन ने मंच पर भाषण दिया, वो इस प्रकार था…

भाईयो और बहनों,

न तो मैं स्पीकर हूं और न ही लाउडस्पीकर। स्पीकर हमारे मुहल्ले के कल्लन मियां हुआ करते थे, जो कि आजकल कब्र में हैं। उनकी कब्र में दो तरह के फूल चढ़ाये गये, गुलाब के और गेंदे के। और आप जानते ही होंगे कि गुलाब से ही गुलकंद बनता है। और गुलकंद ही सारी बीमारियों की जड़ है। और जड़ों में सबसे लम्बी जड़ खरबूजे की होती है। और आपको पता ही होगा कि एक खरबूजे को देखकर दूसरा खरबूजा रंग बदलता है।

वाह भई वाह, और रंग… रंग तो जर्मनी के प्रसिद्ध होते हैं और जर्मनी में ही हिटलर हुआ था। जिसके कारण द्वितीय विश्वयुद्ध हुआ था और इस युद्ध में कई शेरे दिल मारे गये थे। चालीस सेर का एक मन होता है और मन बड़ा चंचल होता है। चंचल मधुबाला की बहन का नाम था। मधुबाला वही जिसे दिल का दौरा पड़ा था। दिल एक मंदिर है और इस मंदिर के सामने से कई प्राणी गुजरते हैं। जिनमें कई कुत्ते भी होते हैं और आपको पता ही होगा कि कुत्ते की दुम हमेशा तिरछी ही होती है।

भाईयो और बहनों,

जिस दिन कुत्ते की दुम सीधी हो जायेगी, मैं भाषण देने फिर आउंगा।

धन्यवाद


संकलनकर्ताः राज शेखर भट्ट

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights