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आपके विचार

साम्प्रदायिकता का नंगा नाच कब तक…?

धर्म के नाम पर दंगे कितने जायज?

ओम प्रकाश उनियाल

हरेक धर्म के लोग एक-दूसरे धर्म पर अपनी ताकत दिखाने के प्रयास में रहते हैं। साम्प्रदायिक दंगे पनपने का यही कारण है। धर्मों के बीच आपसी टकराव व मतभेद की लीक नयी नहीं है। साम्राज्य किसी का भी रहा हो लेकिन अपने वर्चस्व को दिखाने की धर्मों की आपसी होड़ हमेशा से चली आ रही है।

अपने-अपने धर्म की रक्षा सभी करना चाहते हैं। चाहे बहुसंख्यक हों या अल्पसंख्यक। धर्म शब्द को इतना हल्का बना दिया है कि उसका महत्व खत्म होता जा रहा है। धर्म के मायने क्या हैं? इस पर कोई चिंतन नहीं करना चाहता। किसी भी धर्म में सांप्रदायिकता, अलगाववाद, तुष्टीकरण की नीति अपनाने का उल्लेख नहीं मिलेगा। बल्कि, समरसता, सद्भभाव, सौहार्द से एक-दूसरे को जोड़ने पर बल दिया जाता है।

यह हर धर्म का मानस जानता है कि इंसानी धर्म एक-दूसरे की मदद करना है। तो फिर क्यों छोटी-छोटी बातों को सांप्रदायिकता का रंग देकर दंगे-फिसाद कराए जाते हैं? किसकी भूमिका होती है दंगे कराने के पीछे? इन बातों पर तो कोई मनन ही नहीं करता। बस जरा-सी अफवाह फैली नहीं कि हो गया सांप्रदायिकता का नंगा नाच।

भाईचारे व अहिंसा का पाठ पढ़ाने वालों के बीच खिंच जाती हैं तलवारें। एक-दूसरे के खून के प्यासे बन जाते हैं। कई बार तो पूर्वनियोजित तरीके से माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जाती है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में धर्म पर सियासत करना आम बात हो चुकी है। विगत माह दिल्ली में हुए दंगों की आग बुझी नहीं थी कि पंजाब के पटियाला में घटना घट गयी।

उसके बाद राजास्थान में तीन बार दंगों को अंजाम दिया गया। इन ताजी घटनाओं का बारीकी से विश्लेषण किया जाए तो वास्तविकता सामने आ जाएगी। राजनैतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मड़कर आग में घी डालने का काम करते रहते हैं। इस आग में झुलसता तो आम आदमी ही है। देश में शांति का माहौल बना रहे इसके लिए बेहतर उपाय है कि अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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ओम प्रकाश उनियाल

लेखक एवं स्वतंत्र पत्रकार

Address »
कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड) | Mob : +91-9760204664

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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