कविता : आई है बरसात सखी री
आई है बरसात सखी री… पीहू – पीहू बोले पपीहा शोर मचाए सखी री सावन आयो मदमस्त सखी री सोलह सिंगार कर चलो मेहंदी रचाएं सखी री सब सखियां मिल गीत- मल्हार गाएं सखी री रोज पिया मिलन की आई सखी री टीका, बिंदी, पायल, कंगना खनके सखी री #डॉ मीना कुमारी परिहार
देखो आई है बरसात सखी री
सावन की सौगात लाई सखी री
उमड़ -घुमड़ कर बरसे बदरिया सखी री
रुत आई मनभावन सखी री
देखो आई है बरसात सखी री
हवा चले मदमस्त उड़े चुनरिया धानी सखी री
सब सखियां मेरी झूला झूले पेंग मारे सखी री
कोयलिया मधुर तान सुनाएं सखी री
पीहू – पीहू बोले पपीहा शोर मचाए सखी री
सावन आयो मदमस्त सखी री
सोलह सिंगार कर चलो मेहंदी रचाएं सखी री
सब सखियां मिल गीत- मल्हार गाएं सखी री
रोज पिया मिलन की आई सखी री
टीका, बिंदी ,पायल,कंगना खनके सखी री
देखो आई है बरसात सखी री
आई मन हर्षाने बरसात सखी री
बड़ा ही लुभावन लागे सावन सखी री
बिरहा की अगन जगाए सखी री
देखो आई है बरसात सखी री