चुनाव और चुनावी दौड़
ओम प्रकाश उनियाल (स्वतंत्र पत्रकार)
हालांकि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव तिथि की अभी घोषणा नहीं हुई है। ना ही राजनैतिक दलों ने उम्मीदवारों की नामों की घोषणा की है। लेकिन सभी दलों ने मतदाताओं को अपने-अपने स्तर से रिझाना शुरु कर दिया है।
एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर का भय तो दूसरी तरफ चुनाव की सरगर्मी। उत्तराखंड की जनता सत्ता परिवर्तन चाह रही है। मगर किस दल की सरकार को प्राथमिकता दे, यह असमंजसता की स्थिति बनी हुई है। भाजपा जो कि वर्तमान में सत्ता में है की बार-बार नेतृत्व बदलने की नीति से राज्य की जनता खिन्न आ चुकी है।
ऐसे में विकास कार्यों में बाधा तो पड़ती ही है। जो कुर्सी पर बैठा उसने आते ही प्रशासनिक फेर-बदल की प्रक्रिया में कुछ समय बर्बाद किया। पहले सीएम ने तीन साल से अधिक समय राज किया, दूसरे ने कुछ माह, तीसरे सीएम के कार्यकाल में चुनावी प्रक्रिया का झमेला। सत्ता में नेतृत्व परिवर्तन कोई नयी बात नहीं है।
राज्य में कांग्रेस का राज भी रहा तो यही खेल चला। केवल तिवारी सरकार ने ही पांच साल सत्ता चलाकर लाज रखी थी। लेकिन बाद में कांग्रेस ने भी नेतृत्व परिवर्तन का ढर्रा शुरु कर दिया। कहावत है ‘खरबूजे को देख खरबूजा रंग बदलता है’। यह कहावत उत्तराखंड पर सटीक बैठती है। आखिर यहां की जनता करे भी तो क्या करे?
तीसरा विकल्प है भी तो नहीं है? इस बार तीसरे विकल्प के बादल मंंडरा कर गरज तो रहे हैं मगर भरोसा कुछ नहीं गरजने वाले बरसेंगे भी? भाजपा सत्ता में है। जाते-जाते वह जिस प्रकार से विकास संबंधी धुंआधार और ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रही है उसकी इस रणनीति से यह साफ नहीं हो पा रहा है कि राज्य की जनता घोषणाओं को आधार बनाएगी या पूर्ववत चली ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ को।
अर्थात् ‘मोदी लहर’। कांग्रेस के लिए इस बार का मुकाबला पहले चुनाव से जरा और कड़क होगा। कांग्रेस एक तरफ मेहनत तो करती रही जनमुद्दों को उठाने का, लेकिन भितरघात और आपसी रार का आमजन तक पहुंचने के परिणाम से अविश्वसनीयता का जो माहौल बना वह कहीं न कहीं नुकसानदायक भी साबित हो सकता है।
तीसरे विकल्प के रूप में चुनावी मैदान में इन दोनों दलों को शिकस्त देने का दमखम भरने वाली आप पार्टी को राज्यवासियों ने अभी तक परखा भी नहीं है। पार्टी की राज्य में अभी तक किसी प्रकार का अहम् भूमिका नहीं रही है। पार्टी जिस प्रकार से दिल्ली राज्य की सत्ता पर जमी उसी आधार को लेकर शायद उत्तराखंड में भी चल रही है।
जब भी दल के मुखिया राज्य के दौरे पर आए हैं कुछ न कुछ घोषणाएं करके गए हैं जो शायद उत्तरखंडवासियों को लुभा सके। वर्तमान में तीन ही दल हैं जो प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने का दांव चल रहे हैं। दौड़ में सपा, बसपा व अन्य क्षेत्रीय दल भी रहेंगे जिनकी गिनती न तीन मे न तेरह में है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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