साहित्य लहर
नवल वर्ष से मेरी अभिलाषा
कौशल किशोर मौर्य ‘दक्ष
ओ! नवल वर्ष, ओ! नवल वर्ष!
भेंटो सुस्मित हर हिय सहर्ष।
देना संयम, विवेक, धीरज।
सद्-भाव, प्रेम की निर्मल रज।
जन सत्य, अहिंसा भाल धरें।
पुष्पों सम सद्-गुण जगत भरें।
बलिदान, समर्पण, क्षमा धरें।
सम्पूर्ण वर्ष सद्-कर्म करें।
होकर निर्भय सन्मार्ग चलें।
सौहार्द- सुमन हर हृदय खिलें।
निर्धन-भिक्षुक को दान करें।
जिससे ये सब जग में उबरें।
ना पलें दम्भ जग जन मानस।
ना रोंके कर्म बाट आलस।
अतिमान, क्रोध का त्याग करें।
पारुष्य, दर्प को वह्नि धरें।
अज्ञान- तमस को नष्ट करें।
अन्तस्तल अहम् नहीं उभरें।
ओ! नवल वर्ष, ओ! नवल वर्ष!
बस इतना करना तुम! सहर्ष।
ओ! नवल वर्ष, ओ! नवल वर्ष!
हाँ! इतना करना तुम! सहर्ष।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »कौशल किशोर मौर्य ‘दक्षमीतौं, सण्डीला, हरदोई (यूपी) | मो. नं. : 8090051242Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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