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बुलडोजर बाबा का भय और सियासत

ओम प्रकाश उनियाल

जब से उत्तरप्रदेश में बुलडोजर बाबा ने अपनी ताकत दिखाना शुरु किया तब से हरेक जगह अवैध रूप से अतिक्रमण किए हुए अतिक्रमणकारियों में बौखलाहट मची हुई है। परेशान हैं बेचारे बुलडोजर बाबा के भय से। देश का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जो अतिक्रमण की मार न झेल रहा हो। हर कोई सरकारी जमीन पर हावी रहता है।

चाहे फुटपाथ हो या सड़क या फिर सरकार की खाली पड़ी जमीन। फुटपाथ और सड़क पर दुकानदार, रेहड़ी-खोमचे वाले और सरकारी जमीनों पर भूमाफियाओं का दबदबा बना रहता है। यह खेल स्थानीय प्रशासन या स्थानीय निकायों की मिलीभगत से हर जगह सालों से चला आ रहा है। वैसे तो नेताओं का भी इसमें हाथ होता है।

खासतौर पर सत्ताधारी दल के। यदा-कदा इन्हें हटाने की जो मांग भी करते हैं उनके भी किसी न किसी तरह मुंह बंद करा दिए जाते हैं। लोकतंत्र में सब जायज है। एक बात की दाद तो देनी ही पड़ेगी कि योगी के दुबारा सत्ता में आते ही बुलडोजर बाबा की ‘वेल्यू’ ऐसी बड़ी कि बड़े से बड़े अतिक्रमणकारियों के पसीने छूट रहे हैं।

योगी के विरोधी इसे बदले की भावना बताते हैं। और एकतरफा निर्णय बताते हैं। बुलडोजर बाबा का कमाल दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी देखने को मिला। जिस कुशल चौक पर हनुमान जयंती के दिन पत्थरबाजी की घटना घटी थी। इस चौक के आसपास एमसीडी द्वारा अवैध अतिक्रमण हटाए जाने पर स्थानीय निवासियों ने विरोध जताया।

आरोप था कि एक समुदाय विशेष को ही परेशान किया जा रहा है। जबकि चौक के आसपास दोनों समुदायों के लोगों ने अतिक्रमण किया हुआ था जिसे हटाया गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बाद में बुलडोजर बाबा का प्रहार रोका गया। हालांकि, मुसलमानों के प्रति हमदर्दी जताने के लिए सांसद औवेसी और वामपंथी दल की नेत्री वृंदा करात भी बुलडोजर बाबा का विरोध करने पहुंचे थे।

बुलडोजर बाबा का डर हर अतिक्रमणकारी के मन में इस कदर बैठ गया कि न जाने कब कहां और किस पर गाज गिर जाए। ऐसे में अपनी राजनीति चमकाने वालों को भी अवसर मिल जाता है।

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