साहित्य लहर
कविता : ज्ञानवाणी
ज्ञानवाणी, अत्याचारी, दुर्जन, विधर्मी पापियों के पाप का घड़ा भरा, सब देवों के देव महादेव का मशान है जाग उठा। संभल जाओ तुम दुष्टों अब अब तू बच नहीं पायेगा, जाग उठें है भोले बाबा भूत-पिचाश भी जाग उठा। मेरा अखंड भारत का सपना #डा उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
नंदी की तपस्या पूर्ण हुई
भोले का तीनों नेत्र खुला,
भारत के कोने-कोने में
हर-हर, बम-बम जय गूंज उठी।
अत्याचारी, दुर्जन, विधर्मी
पापियों के पाप का घड़ा भरा,
सब देवों के देव महादेव
का मशान है जाग उठा।
संभल जाओ तुम दुष्टों अब
अब तू बच नहीं पायेगा,
जाग उठें है भोले बाबा
भूत-पिचाश भी जाग उठा।
मेरा अखंड भारत का सपना
अब तो पूर्ण हो जाएगा,
प्रगट हो रहे कोने-कोने से
देखो कैसे भोले नाथ।