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अबकी बार, तापमान पार : ज्वलंत धरती का आक्रोश

अबकी बार, तापमान पार: ज्वलंत धरती का आक्रोश… यह वक्त है जब हमें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, वृक्षारोपण जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक हो गया है। अंततः, यह बढ़ती और झुलसाने वाली गर्मी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अबकी बार तापमान पार हो चुका है। #अंकित तिवारी

अबकी बार, तापमान पार: ज्वलंत धरती का आक्रोश... यह वक्त है जब हमें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, वृक्षारोपण जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक हो गया है। अंततः, यह बढ़ती और झुलसाने वाली गर्मी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अबकी बार तापमान पार हो चुका है। #अंकित तिवारीउत्तराखंड। जून का महीना है, और धरती मानो आग उगल रही है। पारा 40 के पार, लू के थपेड़ों से जनजीवन त्रस्त, नदियां सूख रहीं हैं, खेतों में दरारें पड़ रही हैं। यह तो मानो प्रकृति का रोष है, मानो धरती मनुष्य के अत्याचारों से तंग आकर विद्रोह कर रही है। परचम लहराता प्रचंड तापमान, झुलसती धरती, बेहाल इंसानियत! यह वाक्य आज भारत के अधिकांश हिस्सों की सटीक तस्वीर पेश करता है।

जून का महीना अभी दस्तक दे रहा है, और पहले ही तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली जैसे राज्यों में पारा 45°C से 47°C के बीच पहुंच गया है। लू का सितम इतना है कि लोग घरों से निकलने को मजबूर हैं। लेकिन क्या वाकई यह सिर्फ गर्मी का मौसम है? नहीं, यह जलवायु परिवर्तन का भयानक परिणाम है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है, और इसका सबसे ज्यादा असर भारत जैसे देशों पर पड़ रहा है।

इस प्रचंड गर्मी का असर सिर्फ मानव स्वास्थ्य पर ही नहीं, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। लू के कारण फसलें जल रही हैं, जल संकट गहरा रहा है, और बिजली की मांग बढ़ रही है। गर्मी का मौसम आते ही देशभर में तापमान का बढ़ना सामान्य घटना मानी जाती है। परन्तु इस बार जो गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है, उसने सभी को हैरान और परेशान कर दिया है। इस साल, तापमान ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए कई क्षेत्रों में 45 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक पहुँच गया है।

इस असहनीय गर्मी का असर न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, बल्कि पर्यावरण, पशु-पक्षियों और दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी दिख रहा है। सबसे पहले, अत्यधिक तापमान का सीधा असर स्वास्थ्य पर देखा जा सकता है। गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों, जैसे लू लगना, हीट स्ट्रोक, और डिहाइड्रेशन की घटनाएँ बढ़ रही हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है और चिकित्सा सुविधाओं पर दबाव भी बढ़ रहा है।



बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी मजबूत नहीं होती कि वे इस तरह की विकट परिस्थितियों का सामना कर सकें। दूसरी ओर, इस भयंकर गर्मी ने पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुँचाई है। जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं, जिससे पानी की कमी हो रही है। खेती पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। फसलों को पानी नहीं मिल पा रहा है और किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं।



इसके अतिरिक्त, जंगलों में आग लगने की घटनाएँ भी बढ़ी हैं, जिससे न केवल वन्यजीवों का जीवन संकट में है, बल्कि जैव विविधता पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। शहरी क्षेत्रों में, बिजली की मांग में भारी वृद्धि हो रही है। एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों के उपयोग में वृद्धि ने बिजली आपूर्ति व्यवस्था को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। बिजली कटौती की घटनाओं ने जनजीवन को और भी कठिन बना दिया है। यातायात, कार्यस्थल और घरेलू जीवन सब प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन क्या हम सब इस तबाही के लिए मूकदर्शक बने रहेंगे?



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नहीं, अब समय है जागने और कार्रवाई करने का। हमें हरितगृह गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, और ऊर्जा की बचत जैसे उपायों को अपनाकर हम इस जलवायु संकट से लड़ सकते हैं। यह स्थिति हमें जलवायु परिवर्तन के खतरों की ओर भी संकेत करती है। लगातार बढ़ते तापमान और अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन यह दर्शाते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या गंभीर होती जा रही है।



यह वक्त है जब हमें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, वृक्षारोपण जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक हो गया है। अंततः, यह बढ़ती और झुलसाने वाली गर्मी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अबकी बार तापमान पार हो चुका है। हमें अपनी जीवनशैली में आवश्यक परिवर्तन लाने होंगे और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना होगा। तभी हम भविष्य में ऐसी विकट परिस्थितियों से बच सकते हैं और एक संतुलित एवं स्वस्थ पर्यावरण का निर्माण कर सकते हैं।



सरकार को भी कड़े कदम उठाने होंगे। प्रदूषण पर नियंत्रण, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा, और जल संरक्षण के लिए योजनाएं बनानी होंगी। यह धरती हम सबका घर है, और हमें इसे बचाने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। आइए, हम सब मिलकर तापमान को पार करने से रोकें और पृथ्वी को वास्तविक घर बनाएं। यह संपादकीय सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक अपील है। आइए, हम सब मिलकर इस धरती को बचाने का संकल्प लें।

(इस लेख के लेखक अंकित तिवारी , शोधार्थी, अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं ।)


अबकी बार, तापमान पार: ज्वलंत धरती का आक्रोश... यह वक्त है जब हमें व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, वृक्षारोपण जैसे उपायों को अपनाना आवश्यक हो गया है। अंततः, यह बढ़ती और झुलसाने वाली गर्मी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अबकी बार तापमान पार हो चुका है। #अंकित तिवारी

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