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आत्मविश्वास सबसे बडा बल

हमारे देश में ऐसे अनेक लोग हैं जो प्रगति के पथ पर अकेले चले थे और फिर धीरे धीरे कारंवा स्वत: ही बढता गया। किसी भी व्यक्ति को जीवन में मान सम्मान, उच्च पद, प्रतिष्ठा यूं ही नहीं मिलती है उसके पीछे उस व्यक्ति का त्याग, तपस्या, निष्ठा, समर्पण का भाव होता हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

आत्मविश्वास हमारा सबसे बडा बल है। जीवन में संकट की घडी में कोई हमारा साथ दे या न दे लेकिन हमारे में आत्मविश्वास हैं , दृढ इच्छाशक्ति है , कार्य करने के प्रति निष्ठा है तो कोई भी ऐसी ताकत नहीं है जो हमें आगे बढने से रोक सकती हैं। हमारा आत्मविश्वास ही हमें अपार शक्ति प्रदान करता है। जिसकी वजह से हम हमारा निर्धारित लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

आत्मविश्वास बाजार में बिकने वाली चीज नहीं कि जब जरूरत हो हम बाजार से खरीद लें। आत्मविश्वास स्वयं पैदा करना पडता हैं जब हमारे में कुछ नया कर गुजरने की चाह हो व ललक हो। लेकिन वर्तमान समय में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो हमारे आत्मविश्वास को येन केन प्रकारेण कमजोर करने का प्रयास करते हैं व इसके लिए ऐसे अनेक उदाहरण पेश करते है जिन्हें सुनकर हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लगता है और हम कमजोर पड जाते हैं। लेकिन हमें कमजोर नहीं पडना हैं अपितु अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना है।

जीवन में कितने भी दुःख व संकट क्यों न आये, हमें हर परिस्थिति में अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना है चूंकि यही हमे अपनी मंजिल पर पहुंचाने में एक आदर्श गुरू, आदर्श मार्गदर्शक व शुभ चिंतक साबित होता है। लेकिन समाज में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो हमारी उन्नति, प्रगति, विचारधारा से जलते है और वे हर समय हमें नुकसान पहुंचाने में लगे रहते हैं।‌ वे कभी भी हमारे साथ विश्वासघात कर सकते हैं।

ऐसे लोग पहले हमारा विश्वास प्राप्त करते हैं और फिर मीठे बोल बोलकर कभी भी हमारे साथ विश्वासघात कर सकते है। इसलिए मीठे बोल बोलने वाले व चापलूसी करने वाले से सदैव सजग, सतर्क व सावधान रहें। वे अपनी चिकनी-चुपडी बातों से कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कभी भी किसी पर अनावश्यक शक न करें। लेकिन सजग व सतर्क अवश्य रहें। जहां आत्मविश्वास कमजोर होता है वहीं हताशा, निराशा, हार, पराजय जैसी बातें हमें घेर लेती हैं और हमारे जीवन में एक तरह से हताशा का भाव भर कर हमारे आत्मविश्वास को कमजोर व खण्डित कर व्यक्ति को कमजोर बना देती है।

इसलिए आदर्श जीवन जीते हुए अपने आत्मविश्वास को हर परिस्थिति में समान रहना हैं व उसे कभी भी कमजोर न होने दें। चूंकि एक बार आत्मविश्वास कमजोर हो गया तो फिर से उसे पाना बहुत कठिन कार्य है। जो व्यक्ति हर परिस्थिति में समान रहता है जीवन में वहीं व्यक्ति सफलता पूर्वक आगे बढ सकता हैं। आत्मविश्वास सफल जीवन व्यतीत करने की सबसे बडी कुंजी हैं। अगर श्रेष्ठ जीवन व्यतीत करना है तो दूसरों के जीवन में खामियां ढूंढना छोड दीजिए अपितु खामियों में भी अच्छाईयों को ढूंढे और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करें।



हर बुरे इंसान में भी अच्छाईयां होती हैं लेकिन हम उन्हें नजर अंदाज कर देते हैं जो ठीक नहीं है। जैसे एक माली ( बागवान ) बगीचे की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए बगीचे में उगे अनावश्यक घास पूस व पौधे को हटा देता है और उन्हें फैंक देता है, ठीक उसी प्रकार हमें दूसरों की बुराईयों को अनदेखा कर ऊसके गुणों को अपने जीवन में अंगीकार करना चाहिए। जीवन में पैसा कमाना कोई बुरी बात नहीं है। यह जीवन की जरूरतों को पूरा करने के लिए नितांत आवश्यक है। लेकिन वक्त समय में लोगों ने पैसे को ही माई बाप मान लिया है।



धन दौलत की अंधी दौड़ में वे अपने मां-बाप की भी अनदेखी कर रहे हैं। उन्हें अपने से दूर रख रहे हैं। वे आज बोझ लग रहे हैं जिन्होंने हमें जन्म देकर योग्य बनाया वे ही आज उपेक्षित हो रहे हैं। आज बच्चों को क्या हो रहा हैं वे अपने मां-बाप के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो रहे हैं। यह कैसी निर्जलता। यह कैसा इंसान। ऐसे लोग तो इंसान कहलाने लायक भी नहीं है जो अपने ही मां बाप की उपेक्षा कर रहे हैं।‌ आज की पीढी का इतना नैतिक पतन हो जायेगा ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा।



ऐसे इंसानों को दुष्ट कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।‌ पैसा जरूर कमाये लेकिन साथ ही साथ जनता-जनार्दन की दुआएं भी कमाये, चूंकि जिस मोड पर दुआएं काम नहीं आती हैं वहां दुआएं काम आती हैं। जीवन में अपनी पहचान बनानी हो तो अकेले चलना पडेगा, क्योंकि आज के समय में दूसरों को राय देने वालों की कोई कमी नहीं है लेकिन किसी की राय पर चलने वाले बहुत ही कम लोग होते हैं। हर व्यक्ति की राय अलग होती हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप किसकी राय से सहमत हैं।



हमारे देश में ऐसे अनेक लोग हैं जो प्रगति के पथ पर अकेले चले थे और फिर धीरे धीरे कारंवा स्वत: ही बढता गया। किसी भी व्यक्ति को जीवन में मान सम्मान, उच्च पद, प्रतिष्ठा यूं ही नहीं मिलती है उसके पीछे उस व्यक्ति का त्याग, तपस्या, निष्ठा, समर्पण का भाव होता हैं।


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