आपके विचार

मसाला पंचायत

मसालों का झगडा देखकर व्यापारियों ने आपातकाल में बैठक बुलाई और अपनी मनमर्जी से मसालों के दाम बढा दिये। मसालों की लडाई के बीच आम आदमी मंहगाई की मार में फंस गया। आज व्यापारियों ने अनावश्यक रूप से मसालों के दाम बढा कर आम जनता को नीम्बू की तरह निचोड़ दिया है। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

एक दिन सभी मसाले आपस में गपशप कर रहे थे तभी नमक बोला कि सब्जी बनाते समय मसालों में मेरी भागीदारी सबसे ज्यादा होती हैं।‌ मेरे बिना सब्जी का कोई औचित्य नहीं है। वह फीकी फीकी लगती हैं। तभी लाल मिर्च ने आंखें दिखाते हुए कहा कि मेरे बिना सब्जी में रंगत कहां। खटाई बोली मेरे बिना स्वाद कैसा। हल्दी कैसे चुप रहे वह बोली मेरे बिना स्वाद कैसा।

जीरा बोला मेरे तडके बिना कैसी सब्जी। तभी लसन, प्याज, हरा धनिया, हरी मिर्च, लाल टमाटर व अदरक एक साथ बोल पडे हमारे बिना सब्जी का चटपटा स्वाद कैसा। बस एक एक सभी मसालें बोल पडे। अब नौबत ऐसी आई की आपस में मारा मारी मच गई। अब बात व्यापारियों तक पहुंच गई।

मसालों का झगडा देखकर व्यापारियों ने आपातकाल में बैठक बुलाई और अपनी मनमर्जी से मसालों के दाम बढा दिये। मसालों की लडाई के बीच आम आदमी मंहगाई की मार में फंस गया। आज व्यापारियों ने अनावश्यक रूप से मसालों के दाम बढा कर आम जनता को नीम्बू की तरह निचोड़ दिया है।

मसाला पंचायत के इस झगडे व मूंछ की लडाई में बेचारा इंसान पीसा जा रहा हैं। इन्हें कौन समझाए कि सब्जी का स्वाद मसालों की गुणवत्ता से बढता हैं न कि नाम से।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights