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तेरा-मेरा

तेरा-मेरा… मनुष्य इस नश्वर संसार में खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जायेगा। तभी तो कहते है कि कफन के कोई जेब नहीं होती। फिर यह तेरा है और यह मेरा… सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

आज का इंसान दिन-रात भौतिक सुख सुविधाओं को पाने में लगा रहता है। यह मेरा है और यह तेरा है का राग अलापता रहता हैं, जबकि उसे अपना समय भक्ति में लगाना चाहिए। जहां समय लगाना है वहां तो लगा नहीं रहे है और बेकार की बातों में समय बर्बाद कर रहे हैं। ईश्वर ने हमें यह मानव जीवन ईश्वर की भक्ति व आराधना के लिए दिया हैं और हम मूर्खो जैसे समय बर्बाद कर रहे हैं। यह कैसी विडम्बना हैं।

मनुष्य इस नश्वर संसार में खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जायेगा। तभी तो कहते है कि कफन के कोई जेब नहीं होती। फिर यह तेरा है और यह मेरा हैं कि जिद पर इंसान क्यों अडा रहता हैं। अरे भूल जा तेरे-मेरे को और कह दे यह हम सबका है तभी छोटी सोच से मुक्ति मिलेगी।

हे मानव। तेरा-मेरा के चक्कर से बाहर निकल और कह दे यह हम सबका हैं। अरे, सपने देखों तो बडे ही देखों चूंकि सपने देखना बुरा नहीं है और न ही सपने देखने के पैसे लगते है, लेकिन सपने ऐसे देखों जिन्हें पूरा करने का तुम में जज्बा हो, हिम्मत हो, उसे पूरा करने की तमन्ना हो।

इसका अर्थ यह नहीं है कि हम छोटे-छोटे सपने न देखे। सपने जरूर देखे लेकिन उन्हें अपने आत्म विश्वास के साथ पूरा करों। जहां आत्वविश्वास है, वहीं सफलता सदैव कदम चूमती हैं।


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तेरा-मेरा... मनुष्य इस नश्वर संसार में खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जायेगा। तभी तो कहते है कि कफन के कोई जेब नहीं होती। फिर यह तेरा है और यह मेरा... सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

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