
कहानी : अगले जन्म मोहे… बहुत लंबे समय बाद जब उनकी ये कामना पूरी हुई तो दोनों खुशी से फूले नहीं समाए। बैंड बाजे के साथ बेटी को घर लाए और एक राजकुमारी की तरह उसका स्वागत किया। घर में आते ही वो तीनों की लाडली हो गई। मान को खेलने के लिए एक साथी मिल गया। वो अकसर नीलिमा से पूछता… #गीतिका सक्सेना, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश
[/box]सुबह के पांच बजे थे और एडवोकेट निकिता राय अपने एडिडास के स्पोर्ट्स शूज़ और ट्रैकसूट पहने मरीन ड्राइव पर दौड़ लगा रही थी। जेब में नवीनतम आई फ़ोन, कान में एप्पल ईयरपॉड प्रो और कलाई पर एप्पल वॉच सीरीज नाइन, यह सब उसे विरासत में नहीं मिला था बल्कि उसने अपनी मेहनत से कमाया था। पैंतीस साल की उम्र में वो एक कामयाब वकील थी। गेहुआं रंग मगर तीखे नैन नक्श, बड़ी बड़ी आंखें और करीब पांच फ़ीट सात इंच लंबाई उसे आम लड़कियों से अलग कर देती थी। देखने वाला एक बार दोबारा पलटकर ज़रूर देखता था मगर उसका प्रभावशाली व्यक्तित्व देखकर कोई उसके पास फटकने की कोशिश नहीं करता। हर बात को बेबाकी से कह देना उसकी आदत थी। उसकी इसी आदत और तेज़ दिमाग ने उसे उच्च कोटि का वकील बना दिया था।
जीतना उसे पसंद था और कोर्ट में उसके प्रतिद्वंदी अक्सर ये मान कर आते थे कि उनकी हार निश्चित है। हमेशा कोर्ट में जाने से पहले वो अपने मुवक्किल और प्रतिद्वंदी के विषय में पूरी जानकारी बटोर लेती जिससे सामने वाले के ऊपर हावी होने में उसे वक्त नहीं लगता था। मगर आज उसका तेज़ दिमाग उसका साथ नहीं दे रहा था। अपना पूरा जीवन उसे एक झूठ लग रहा था जैसे वो खुद को ही ना जानती हो। जेब में पड़ा फोन बार बार बज रहा था लेकिन वो बिना देखे ही सारी कॉल्स रिजेक्ट कर एक ही गाना लगातार सुन रही थी, वो था उमराव जान फिल्म से “ अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो “ और लगातार एक ही प्रश्न अपने आप से पूछ रही थी, “क्या बेटी होना कोई गुनाह है”?
कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं कि मज़बूत से मज़बूत इंसान को भी हिलाकर रख देती हैं। ऐसी ही एक घटना पिछली शाम निकिता की ज़िंदगी में घटी थी। करीब पैंतीस साल पहले प्रकाश राय और नीलिमा राय के घर एक नन्हीं परी आई जिसका नाम उन्होंने रखा निकिता और सब प्यार से उसे निकी बुलाने लगे। दोनों एक बेटी पाकर बहुत खुश थे और मन ही मन ये ठान चुके थे कि उसे कभी कोई कमी नहीं होने देंगे। प्रकाश और नीलिमा के पहले एक पांच साल का बेटा था – अभिमान जिसे दोनों मान कहा करते थे। मान अपने नाम की ही तरह हमेशा अपने माता पिता का मान बढ़ाता रहा। पढ़ाई में अव्वल, खेल कूद में आगे, बड़ों का सम्मान करना, हमेशा समझदारी की बात करना – ऐसा लगता था जैसे वो कोई बच्चा नहीं बड़ा हो। लेकिन प्रकाश और नीलिमा का मन फ़िर भी एक बेटी के लिए तरसता था।
बहुत लंबे समय बाद जब उनकी ये कामना पूरी हुई तो दोनों खुशी से फूले नहीं समाए। बैंड बाजे के साथ बेटी को घर लाए और एक राजकुमारी की तरह उसका स्वागत किया। घर में आते ही वो तीनों की लाडली हो गई। मान को खेलने के लिए एक साथी मिल गया। वो अकसर नीलिमा से पूछता, “मां, ये कब तक पालने में रहेगी? मेरे साथ कब खेलेगी?” और नीलिमा हंसकर कहती, “अभी थोड़ा वक्त लगेगा बेटा। लेकिन तुम इसके बड़े भाई हो ना इसलिए हमेशा इसका ध्यान रखना। इसे कभी कोई तकलीफ़ मत होने देना”। मां की ये बात जैसे मान के दिमाग़ में बस गई। धीरे धीरे समय बीतता गया और निकिता करीब आठ वर्ष की हो गई लेकिन घर में अब भी सबकी लाडली थी मान भी पूरी कोशिश करता कि उसकी आंखों में एक भी आंसू ना आए। निकिता अपने माता पिता से बेहद प्यार करती थी मगर भाई तो जैसे उसका सब कुछ था। मान के बिना वो एक मिनिट भी रहना नहीं चाहती थी। बस दिन रात उसी के पीछे पीछे घूमती रहती।
प्रकाश राय एक करोड़पति व्यापारी थे। उनकी अपनी कपड़े की मिल थी। घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी। उनके माता पिता अब जीवित नहीं थे। पत्नी और बच्चों के अलावा बस एक छोटा भाई था प्रताप और उसकी पत्नी रीमा। प्रताप और रीमा के कोई संतान नहीं थी जिस कारण रीमा का व्यवहार दिन पर दिन कड़वा होता जा रहा था। प्रकाश के भरे पूरे परिवार से तो उसे विशेष चिढ़ थी। प्रताप भी पहले भाई के साथ ही व्यापार करता था लेकिन फ़िर आपसी सहमति से दोनों भाइयों ने अपना अपना काम अलग कर लिया। दोनों जानते थे कि रीमा की चिढ़ का असर कभी भी उनके आपसी संबंधों पर पड़ सकता है। प्रकाश दिन पर दिन तरक्की करते गए लेकिन प्रताप जो था उसी में संतुष्ट था वो अक्सर सोचता कि संतान तो है नहीं फ़िर किसके लिए व्यापार को ज़्यादा बढ़ाना और वैसे भी उसके पास भी पैसे की कोई कमी नहीं थी। दोनों भाई पहले अक्सर ही परिवार सहित एक दूसरे के घर जाया आया करते थे।
मगर जब भी वो…
यहां क्लिक करें और कहानी का अगला भाग पढ़ें…
[one_third][/one_third][one_third]
[/one_third][one_third_last]
[/one_third_last] [one_third]
[/one_third][one_third]
[/one_third][one_third_last]
[/one_third_last]