कहानी : अगले जन्म मोहे… (भाग – II)
कहानी : अगले जन्म मोहे… प्रकाश हमेशा मान और निकिता को समझाते कि जो बात मान के लिए सही है वो निकिता के लिए भी सही है और जो निकिता के लिए गलत है वो मान के लिए भी गलत है। नीलिमा ने भी अपने दोनों बच्चों से एक सा ही व्यवहार किया। जितना घर का काम वो निकिता को सिखाती उतना ही मान को भी सिखाया। #गीतिका सक्सेना, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश
मगर जब भी वो मिलते रीमा निकिता के साथ बहुत ख़राब व्यवहार करती। हर बात में उसकी कमी निकालना, उसे डांटना उसकी आदत थी। जब भी नीलिमा या कोई और उसे समझाने की कोशिश करता तो वो निकिता के लड़की होने का ताना देकर सबका मुंह बंद कर देती। दूसरी तरफ़ प्रताप कभी निकिता पर कोई कटाक्ष नहीं करता था लेकिन हमेशा ही उस से दूरी बनाए रखता। बेचारी निकिता अक्सर ही ये सोचती कि आख़िर उसके चाचा चाची उस से इतनी नफ़रत क्यों करते हैं। कभी कभी वो अपने माता पिता से पूछती भी पर दोनों कोई ना कोई बहाना बनाकर बात घुमा देते। घर का एक और सदस्य जो ये सब देखकर आग बबूला होता वो था – मान। घर में जहां कोई निकिता से ज़ोर से बोलता भी नहीं था वहां चाची को बेवजह उसे ताने मारते देखना उसके लिए मुश्किल होता जा रहा था। वो गुस्से में लाल मुंह किए और दोनों हाथों की मुट्ठियां भीचे अपनी चाची को घूरता।
आख़िर प्रकाश और नीलिमा ने प्रताप और रीमा से दूरी बनाने का फ़ैसला ले लिया। अब दोनों परिवार कभी कभी ही मिलते मगर रीमा का व्यवहार निकिता के प्रति बिल्कुल नहीं बदला। निकिता ने कई बार प्रकाश और नीलिमा से रीमा की कड़वाहट की वजह जानना चाही लेकिन वो दोनों ही हमेशा ये कहकर टाल देते कि निःसंतान होने की वजह से वो चिढ़चिढ़ी हो गई थी। निकिता अपने माता पर ज़्यादा ज़ोर नहीं दे पाई लेकिन उसे कभी समझ नहीं आया कि चाची अपनी चिढ़ पूरे परिवार में सिर्फ़ उसी पर क्यों उतारती है। क्यों वो मान को कभी कुछ नहीं कहती। बेचारे प्रकाश और नीलिमा असली वजह जानते हुए भी नहीं बता सकते थे क्योंकि रीमा की चिढ़ का कारण था निकिता के जन्म का रहस्य। जिसे दोनों परिवारों ने कभी ना उजागर करने का वादा किया था।
जैसे जैसे निकिता बड़ी होने लगी उसे समझ आ गया कि रीमा को निकिता से नहीं बल्कि उसके लड़की होने से परेशानी है। उसने उसे छोटी सोच वाली बेवकूफ महिला समझकर नज़रंदाज़ करना शुरू कर दिया मगर इस बात ने उसके दिमाग़ पर गहरा असर किया और वो ये सोचने पर मजबूर हो गई कि ना जाने कितने परिवारों में बेटियों का इस तरह तिरस्कार होता होगा। वो करीब चौदह साल की थी जब उसने ये दृढ़ निश्चय कर लिया कि उसे दुनिया को कुछ कर दिखाना है, अपने पिता के नहीं अपने बल बूते पर अपनी एक पहचान बनानी है और समाज को ये बताना है कि बेटियां बोझ नहीं होतीं। प्रताप और रीमा से बिल्कुल उलट प्रकाश और नीलिमा खुले विचारों के लोग थे। उनके लिए बेटा और बेटी में कोई फ़र्क नहीं था।
प्रकाश हमेशा मान और निकिता को समझाते कि जो बात मान के लिए सही है वो निकिता के लिए भी सही है और जो निकिता के लिए गलत है वो मान के लिए भी गलत है। नीलिमा ने भी अपने दोनों बच्चों से एक सा ही व्यवहार किया। जितना घर का काम वो निकिता को सिखाती उतना ही मान को भी सिखाया। हालांकि उनके घर में कई नौकर थे मगर नीलिमा चाहती थी कि उसके दोनों बच्चे आत्मनिर्भर हों। जब नीलिमा ने मान को ताइक्वांडो सिखाया तो निकिता को साथ में भेजा उसका मानना था कि लड़कियों को भी अपनी रक्षा स्वयं करनी आनी चाहिए उसके लिए वो किसी पुरुष पर निर्भर क्यों हो। अपनी इसी परवरिश की वजह से निकिता बेबाक, निडर, बुद्धिमान और स्वतंत्र विचारधारा की मालिक थी। और उसकी इन खूबियों का उसके एक सफ़ल वकील होने में बहुत बड़ा हाथ था।
कुछ समय बीता तो मान टेक्सटाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके एमबीए करने विदेश चला गया और पढ़ाई पूरी होने पर उसने करीब तीन साल वहीं एक टेक्सटाइल फैक्ट्री में नौकरी कर ली। वो अपने पिता के कारोबार को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता था इसलिए पहले एक आम इंसान की तरह काम सीखना और समझना चाहता था। जब मान ने लौटकर पिता का कारोबार संभाला तब निकिता मुंबई यूनिवर्सिटी से पांच साल की एलएलबी की पढ़ाई कर रही थी। जैसे ही एलएलबी पूरी हुई तो निकिता को एक बहुत बड़े वकील के साथ काम करने का मौका मिला और उसने उनके ऑफिस में बतौर सहायक नौकरी करनी शुरू कर दी। जब कुछ महीने बीत गए तो मान ने उसे सलाह दी कि उसे एलएलएम करने विदेश जाना चाहिए और फ़िर वापस आकर अपना खुद का ऑफिस बनाना चाहिए। निकिता को मान की बात समझ आ गई और कुछ ही समय बाद वो आगे की पढ़ाई करने लंदन चली गई।
दो वर्ष बाद जब वो…
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