साहित्य लहर

कहानी : अगले जन्म मोहे… (भाग – III)

कहानी : अगले जन्म मोहे… लड़की ना जाने अपने आप को क्या समझती है”। सच तो ये था कि उसने अपनी कुंठा से ऊपर उठकर कभी निकिता को समझा ही नहीं। उसका दिमाग बस एक ही बात पर अटका रहा कि वो एक लड़की है और उसे प्रकाश और नीलिमा इतना अच्छा जीवन क्यों दे रहे थे। #गीतिका सक्सेना, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश

दो वर्ष बाद जब वो वापस लौटी तो आत्मविश्वास से लबरेज़ एक नई निकिता थी। विदेश में माता पिता और भाई के साए से बाहर निकलकर उसका व्यक्तित्व और निखर गया था। वहां की प्रगतिशील और महिलाओं और पुरुषों के समान होने की सोच ने उसे काफ़ी प्रभावित किया था। लंदन से वापस आकर निकिता ने अपने लिए एक दफ़्तर बनाया और अपनी खुद की प्रैक्टिस शुरू कर दी। इतने वर्षों में काफ़ी कुछ बदला लेकिन एक चीज़ जो नहीं बदली वो था निकिता के प्रति रीमा का व्यवहार। जब निकिता ने एलएलबी में दाखिला लिया तब रीमा कहती थी, “लड़की का दिमाग खराब हो जाएगा। घर में और ससुराल में सबसे बहस करेगी”। जब निकिता पढ़ने विदेश गई तब उसने कहा,” प्रकाश भाई साहब लड़की के ऊपर कितना पैसा बरबाद कर रहे हैं आख़िर एक दिन तो उसकी शादी ही करनी है”। फ़िर जब निकिता ने अपना ऑफ़िस खोला तब भी रीमा चुप ना रही और बोली,” इतना आसान है क्या अपना दफ़्तर चलाना।

लड़की ना जाने अपने आप को क्या समझती है”। सच तो ये था कि उसने अपनी कुंठा से ऊपर उठकर कभी निकिता को समझा ही नहीं। उसका दिमाग बस एक ही बात पर अटका रहा कि वो एक लड़की है और उसे प्रकाश और नीलिमा इतना अच्छा जीवन क्यों दे रहे थे। चाची का दुर्व्यवहार कहीं ना कहीं निकिता को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा। ऐसा नहीं था कि उसे किसी बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था मगर वो अपने गुस्से को अपनी कामयाबी का जरिया बनाती गई। जैसे हर सीढ़ी पर रीमा को चिढ़ा रही हो कि तुम मुझे जितना नीचे खींचोगी मैं उतना ही ऊपर चढ़ती जाऊंगी। यूं ही समय बीतता गया और निकिता राय कानून जगत में एक जाना पहचाना नाम बन गया। कई बार वकील उसका नाम सुनकर ही मुकदमा छोड़ देते थे। उसकी आंखें जैसे सच और झूठ देखते ही पहचान लेती थीं। किसी भी केस के लिए वो दिन रात एक कर देती; ना खाने का होश, ना सोने की चिंता।

निन्यानवे प्रतिशत मुकदमे वो जीतकर ही दम लेती थी। जब नाम हुआ तो रसूखदार रईस लोगों से भी उसकी जान पहचान बढ़ गई। अक्सर ही किसी न किसी अख़बार में उसका फ़ोटो छपा करता। कड़ी मेहनत के बाद आज वो इस मकाम पर पहुंची थी। निकिता की कामयाबी सब देख, सुन और पढ़ रहे थे। मगर एक इंसान जिसे अचानक ही निकिता में बहुत दिलचस्पी हो गई थी वो थी – रीमा। अपने चौंतीसवें जन्मदिन पर निकिता ने एक जानी मानी हस्ती का मुकदमा जीता और इसलिए वो हर अख़बार की सुर्खियों में छाई हुई थी। उसकी इसी जीत और उसका जन्मदिन मनाने के लिए मान और प्रकाश ने मिलकर जश्न मनाने का फैसला किया। शहर का हर मशहूर व्यक्ति उस समारोह में शरीक था। रीमा और प्रताप भी थे। निकिता ने जैसे ही अपने जन्मदिन का केक काटा रीमा उसे केक खिलाने के लिए आगे बढ़ गई।

यह देखकर सब आश्चर्यचकित रह गए कि हर कदम पर निकिता को ताने देने वाली रीमा आज ख़ुद उसे केक खिला रही थी। निकिता खुद इतनी हक्की बक्की रह गई कि मुंह खोलने के अलावा कुछ ना कर सकी। मान, जो हमेशा पूरी कोशिश करता कि रीमा को निकिता से दूर रखे, वो भी चुप खड़ा देखता रह गया। प्रकाश और नीलिमा भी बस एक दूसरे की शक्ल देखते रह गए कि आख़िर हुआ क्या। बस उस दिन से रीमा का रवैया निकिता के प्रति बदल गया। पहले तो सभी को ये बात समझ नहीं आई पर कुछ महीने बीतने पर प्रकाश और नीलिमा ने सोचा शायद बढ़ती उम्र के साथ अब रीमा भी बड़ी हो गई थी। लेकिन सब कुछ करने के बावजूद मान और निकिता को रीमा पर भरोसा नहीं हुआ। निकिता रीमा की बेइज्जती नहीं करना चाहती थी इसलिए चुप रहती थी मगर वो बेवकूफ़ नहीं थी। रीमा अक्सर प्रकाश के घर आती।

कभी निकिता को बधाई देती, कभी उसकी कोई मनपसंद चीज़ बना लाती, कभी प्यार से निकिता के सिर पर हाथ फेरती तो कभी उसकी नज़र उतारती। ऐसा लगता मानो किसी ने निकिता के लिए उसके अंदर ममता का बटन चालू कर दिया हो। निकिता उसके इस बदले व्यवहार से बहुत परेशान थी। कई बार वो इस बदलाव का कारण समझने की कोशिश करती लेकिन हर बार असफल रहती। आख़िर ठीक निकिता के पैंतीसवें जन्मदिन से पहली शाम को रीमा ने अपने बदलाव का कारण सबको बता दिया और निकिता को फ़िर भरोसा हो गया कि वो अब भी उतनी ही खुदगर्ज और असंवेदनशील है जितनी पहले थी। हर साल की तरह इस साल भी मान रात को बारह बजे निकिता का जन्मदिन मानने की तैयारी कर रहा था। दिन में निकिता अक्सर सबके साथ व्यस्त हो जाती इसलिए रात को बारह बजे केक काटकर ही चारों आपस में उसका जन्मदिन मना लेते।

यह समय बस उन चारों का…

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कहानी : अगले जन्म मोहे... लड़की ना जाने अपने आप को क्या समझती है”। सच तो ये था कि उसने अपनी कुंठा से ऊपर उठकर कभी निकिता को समझा ही नहीं। उसका दिमाग बस एक ही बात पर अटका रहा कि वो एक लड़की है और उसे प्रकाश और नीलिमा इतना अच्छा जीवन क्यों दे रहे थे। #गीतिका सक्सेना, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश

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