पर्यटन

अवध के नवाबों की याद दिलाती है लखनऊ की वास्तुकला

अवध के नवाबों की याद दिलाती है लखनऊ की वास्तुकला… अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अलीशाह ने 1840 में  शानदार इमारत का निर्माण करवाया था। आंतरिक और बाहरी डिजाइन के दृष्टिकोण से मुहम्मद अली शाह और उनके पिता की कब्रें यहाँ हैं। यह इमारत शाही हम्माम के लिए है,।   गोमती नदी से पानी मिलता है। जब पानी दो कुंडों तक पहुँचने पर एक में गर्म और दूसरे में ठंडा हो जाता है। #सात्येन्द्र कुमार पाठक

उत्तरप्रदेश राज्य का लक्ष्मणपुर व लखनपुर को त्रेतायुग में अयोध्या के राजा श्री राम ने लक्ष्मण को लखनऊ भेंट किया था। अवध का नवाब आसफउद्दौला द्वारा लखनपुर में लखनऊ की स्थापना 1775 ई.में कर अवध की राजधानी बनाई थी। अवध के शासकों के नवाब विलासी और निकम्मे होने के कारण लॉर्ड डलहौली ने अवध का अधिग्रहण कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। 1अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने 1850 ई. में ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली थी। अवध के नवाब असिफुद्दोला व अशफ – उद – दुलाह ने अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ स्थानांतरित 1775 ई. में किया था।

वास्तुकला की दृष्टि से अवध के नवाबों का लखनऊ शहर में लखनऊ की मुग़ल चित्रकारी संग्रहालय में हैं। भवनों के स्तर पर बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, तथा रूमी दरवाज़ा मुग़ल वास्तुकला है। अवध राज्य का विलय ब्रिटिश साम्राज्य में 1857 के सिपाही विद्रोह के फलस्वरुप हुआ था। लखनऊ का “शहीद स्मारक” क्रांतिकारियों की याद कराता है। लखनऊ के वास्तुकारी में लखनऊ विधानसभा और चारबाग़ स्थित लखनऊ रेलवे स्टेशन क है। ला मार्टीनियर कॉलेज की स्थापना ब्रिटिश शासक क्लाउड मार्टिन की याद में की गयी थी।अहमद शाह अब्दाली के दिल्ली पर हमले के बाद शायर मीर तकी “मीर” अवध के नवाब अशफ – उद – दुलाह या असफ़ुद्दौला के दरबार लखनऊ में जिन्दगी गुजारने के बाद 20 सितम्बर 1810 को यहीं उनका निधन हुआ।

नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर 1921 ई. में यू पी या उत्तरप्रदेश को यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। युनाइटेड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध व यू पी व उतरप्रदेश की राजधानी सन १९२० में इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया था।उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद और् लखनऊ में उच्च न्यायालय की न्यायपीठ स्थापित की गयी। स्वतन्त्रता के बाद 12 जनवरी 1950 ई. में यू पी क्षेत्र का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रख कर और लखनऊ राजधानी बना है। उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्य मन्त्री गोविंद बल्लभ पंत एवं अक्टूबर 1963 ई. में उत्तर प्रदेश एवम भारत की प्रथम महिला मुख्य मन्त्री सुचेता कृपलानी बनी थी।

लखनऊ के सांसद श्री अटल बिहारी वाजपेयी 16 मई 1996 से 01 जून 1996 तक और 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री थे। उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं लखनऊ जिला का मुख्यालय लखनऊ के क्षेत्रफल 2528 वर्ग किमी व 976 वर्गमील में 2011 जनगणना के अनुसार 4588455 आवादी पंचायत 540 एवं 961 गाँव प्रखंड 08 तहसील 11 लखनऊ जिले पूरब बाराबंकी, पश्चिम में उन्नाव,दक्षिण में रायबरेली उत्तर में सीतापुर और हरदोई जिले की सीमाओं से घिरा है। समुद्र तल से 123 मीटर व 404 फिट उचाई पर लखनऊ गोमती नदी के उत्तर पश्चमी तट पर अवस्थित है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मुगल शासन से पूर्व अवध शहर में सदियों पुरानी ब्रिटिश और मुगल इमारतें, स्ट्रीट बाज़ार, संग्रहालय, मनोरंजन पार्क और उद्यान फैले हुए हैं। लखनवी धार्मिक या आध्यात्मिक स्थल, मंदिरों और तीर्थस्थल है। लखनऊ के मंदिरों में चंद्रिका देवी मंदिर – गोमती नदी के तट पर स्थित चंद्रिका देवी मंदिर है। जल कुंड के मध्य में भगवान शिव की प्रतिमा चंद्रिका दैवी मंदिर के मुख्य आकर्षण है। चंद्रिका देवी मंदिर की स्थापना त्रेतायुग में लखनपुर का राजा लक्ष्मण के पुत्र राजकुमार चंद्रकेतु द्वारा की गई थी। मनकामेश्वर मंदिर – लखनऊ का मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण एक हजार वर्ष पूर्व गोमती नदी के तट पर त्रेतायुग में शेषावतार लक्ष्मण द्वारा भगवान शिव की पूजा की गयी थी।




मनकामेश्वर मंदिर का पुनर्निमाण किया गया गया था। मोहन रोड पर स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर लखनऊ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की स्थापना राजा बख्शी ने की थी। वैसे तो यहां साल भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि के शुभ दिन यह संख्या दोगुनी हो जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लखमन ने वनवास के दौरान इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। भगवान राम ने भगवान शिव की पूजा की थी वह बुधवार का दिन था, और इसलिए इस मंदिर को बुद्धेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी और गोमती नदी के तट पर बसा लखनऊ महानगर है। लखनऊ को ” नवाबों का शहर “और  साहित्य, संस्कृति और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।




लखनऊ समृद्ध औपनिवेशिक अतीत से लेकर  लखनऊ संग्रहालय, राजर्षि पुरुषोतदास टंडन हिंदी भवन में निराला सभागार, प्रेमचंद सभागार, पुस्तकालय तक, विधान भवन  शहर की भव्यता और सादगी  दर्शाता है। लखनऊ में मरीन ड्राइव – गोमती नदी के किनारे स्थित मरीन ड्राइव लखनऊ के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। अंबेडकर पार्क और गोमती नदी के बीच स्थित मरीन ड्राइव लखनऊ का पर्यटन स्थल है। साइंस सिटी – लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र में संग्रहालय और ब्रह्मांड के बारे में जानकारी देता है। जनेश्वर मिश्र पार्क – गोमती नगर में स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क 375 एकड़ में पार्क के दूसरे छोर पर 40 एकड़ में बनी  कृत्रिम झील  हैं। एशियाई महाद्वीप का सबसे बड़ा जनेश्वर मिश्र  पार्क का निर्माण 6 अगस्त 2012 को प्रारम्भ  और 5 अगस्त 2014 को समाप्त हुआ है।




गोमती नगर में स्थित अम्बेडकर पार्क गुलाबी पत्थरों से निर्माण उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 2008 में इसका निर्माण करवाया था। अम्बेडकर पार्क के अंदर, सैकड़ों  हाथी की मूर्तियाँ हैं। बड़ा इमामबाड़ा का निर्माण 1754 में आसफ-उद-दौला द्वारा मजदूरों को काम उपलब्ध कराने के लिए किया गया था।  बड़ा इमामबाड़ा पूरा होने में 14 वर्ष लगे थे। बड़े इमामबाड़े के अंदर की भूलभुलैया पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। भूलभुलैया में प्रवेश करने के लिए सैकड़ों प्रवेश द्वार हैं, लेकिन बाहर निकलने का रास्ता सिर्फ़ एक होने के कारण भूलभुलैया कहा गया है। स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में गोमती नदी पर 15 अगस्त 1957 ई. को   स्मारक बनाया गया है।




आसफ-उद-दौला ने 1784 में लखनऊ में रूमी दरवाजे का निर्माण कराया था। आसफ-उद-दौला का रूमी दरवाजा अवधी वास्तुकला  है।रूसी  दरवाजे की विशेषता  लकड़ी या लोहे के बिना  विशाल प्रवेश द्वार की वास्तुशिल्पीय डिजाइन स्पष्ट  दिखाई देती है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में अंग्रेजों ने रेजीडेंसी  इमारत पर कब्ज़ा कर  रहने लगे थे।चार बाग रेलवे स्टेशन से  4 किलोमीटर दूर बनारसी बाग में स्थित  चिड़ियाघर में विभिन्न प्रकार के पशु और पक्षी हैं। चिड़ियाघर में झील पर पैडलबोट की सवारी एवं ट्रेन या हाथी की सवारी करते  हैं। रूमी दरवाज़ा के पास हुसैनाबाद क्लॉक टॉवर, लखनऊ के परिदृश्य मे सांस्कृतिक स्मारक है। हुसैनाबाद ट्रस्ट ने 1881 में 1.75 लाख की लागत से इस 221-फुट टॉवर का निर्माण  लंदन के बिग बेन क्लॉक टॉवर की शैली में बनाया गया है।




इसे देश के सबसे ऊंचे क्लॉक टॉवर के रूप में जाना जाता है। इसमें गॉथिक और विक्टोरियन वास्तुकला तत्व हैं। घड़ी का आकार एक फूल जैसा है, जिसमें 12 पंखुड़ियाँ और 14-फुट लंबा पेंडुलम है। सआदत अली खान का स्मारक वास्तुकला की  लखनऊ के कैसरबाग में चारबाग से लगभग 4 किलोमीटर दूर है। काले और सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना यह मकबरा एक फूलदान जैसा दिखता है और काफी सुंदर है। इस मकबरे में दो कब्रें नवाब सआदत अली खान की और दूसरी उनकी बेगम खुर्शीद जदी की है। अंग्रेज मेजर जनरल क्लाइड मार्टिन ने 18वीं सदी में अपने घर के लिए यह संरचना यूरोपीय डिजाइन है। पेंटिंग और झूमर मार्टिन की  महल को झूमर और पेंटिंग से खूब सजायाएवं  महल के लॉन के परिसर में एक झील है।




क्लाइड मार्टिन को 1800 में की मृत्यु के बाद मार्टिन  महल में दफनाया गया था। मार्टिन ने अपनी वसीयत में शर्त रखी थी कि उनकी मृत्यु के बाद इस हवेली में ‘ला मार्टिनियर स्कूल’ बनाया जाए। परिणामस्वरूप, 1840 में इस हवेली में ला मार्टिनियर स्कूल की स्थापना की गई। भारत के प्रसिद्ध अंग्रेजी स्कूलों का स्थान है। चारबाग रेलवे स्टेशन से लगभग 15 किलोमीटर दूर, अटल बिहारी बाजपेयी क्रिकेट स्टेडियम के पास है। गोमती नदी के किनारे स्थित दिलकुशा कोठी उन्नीसवीं सदी का घर का खंडहर है। नवाब दिलकश कोठी खंडहर में अपनी गर्मियाँ बिताते थे। ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला की वजह से दिलकुशा कोठी लखनऊ है। जामा मस्जिद लखनऊ की सबसे पुरानी ऐतिहासिक इमारत है।




लखनऊ में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1839 में जमामस्जिद का निर्माण करवाया था। सुनहरे बलुआ पत्थर से निर्मित कलात्मकता की भव्यता है। सतखंड मुहम्मद अली शाह ने सतखंड का निर्माण 1800 ई. में निर्मित चार मंजिला अधूरा टॉवर था। राजा की मृत्यु के कारण इमारत का निर्माण अधूरा रह गया और केवल चार मंजिलें ही पूरी हो सकीं। वास्तुकला का एक अधूरा लेकिन खूबसूरत नमूना है। हुसैनाबाद का इमामबाड़ा छोटा इमामबाड़ा है। अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अलीशाह ने 1840 में  शानदार इमारत का निर्माण करवाया था। आंतरिक और बाहरी डिजाइन के दृष्टिकोण से मुहम्मद अली शाह और उनके पिता की कब्रें यहाँ हैं। यह इमारत शाही हम्माम के लिए है,।   गोमती नदी से पानी मिलता है। जब पानी दो कुंडों तक पहुँचने पर एक में गर्म और दूसरे में ठंडा हो जाता है।


अवध के नवाबों की याद दिलाती है लखनऊ की वास्तुकला... अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अलीशाह ने 1840 में  शानदार इमारत का निर्माण करवाया था। आंतरिक और बाहरी डिजाइन के दृष्टिकोण से मुहम्मद अली शाह और उनके पिता की कब्रें यहाँ हैं। यह इमारत शाही हम्माम के लिए है,।   गोमती नदी से पानी मिलता है। जब पानी दो कुंडों तक पहुँचने पर एक में गर्म और दूसरे में ठंडा हो जाता है।

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