पर्यटन

तुतला भवानी और तुतला झरना परिभ्रमण

तुतला भवानी और तुतला झरना परिभ्रमण… मंदिर प्रांगण में नवरात्र की नवमी तिथि की मध्य रात्रि में परियों द्वारा नृत्य-गीत के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। तुतलेश्वरी भवानी मंदिर के समीप की प्राकृतिक छटा मनोरम है। महिषासुर मंर्दिनी की प्रतिमा तुतराही जल प्रपात के मध्य में स्थापित है। रोहतास व कैमूर जिले का अद्भुत जल प्रपात है। #सात्येन्द्र कुमार पाठक

सनातन धर्म के शाक्त सम्प्रदाय का प्रमुख स्थल रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड मुख्यालय तिलौथू से 8 किमी दक्षिण पश्चिम की रेडियां के समीप।कैमूर पर्वत की तुतराही श्रंखला से जलप्रपात एवं तुतला भवानी मंदिर के गर्भगृह में तुतला भवानी स्थापित है। सर्वाधिक सुरम्य स्थान उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूरब की ओर दो ऊँची पहाड़ियों के बीच एक मील लम्बी तथा हरियाली से भरी घाटी, सामने प्रपात और घाटी के बीच से कलकल कर बहती कछुअर नदी का पानी अद्भुत दृश्य उपस्थित करता है। तुतला भवानी घाटी पूरब में 300 मीटर चौड़ी एवं पश्चिम की ओर सिकुड़ती हुई 50 मीटर पर पश्चिम में 180 फीट फीट की ऊंचाई से जल प्रपात गिरता है।

जल प्रपात के भीतर दाएँ दक्षिण बाजु में थोड़ी ऊंचाई पर चबूतरा जाने के लिए दक्षिण की ओर से सीढ़ी के चबूतरे पर माँ जगद्धात्री महिषमर्दिनी दुर्गा तुतला भवानी की प्रतिमा है। तुतला भवानी प्रतिमा से ल सटे दक्षिण में, चट्टान पर ऊपर-नीचे तीन भागों में बँटा शिलालेख नायक प्रताप धवल देव का 01 अप्रैल 1158 ई. शनिवार (वि० सं० १२१४) को लिखवाया गया था। तुतला भवानी छोटा मंदिर निर्मित कर दिया गया है। वन विभाग द्वारा तुतला भवानी स्थल को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया गया है। सड़क, झूला पूल, इ-रिक्शा सहित पर्यटक सुविधाएँ हैं। झूला पुल से पैदल तुतला भवानी मंदिर एवं तुतला झरना तक दर्शक जाते हैं।

तुतला भवानी धाम की मां तुतलेश्वरी भवानी की प्रतिमा अति प्राचीन है। तुतला भवानी को सोनाक्षी, तुतलेश्वरी, तुतला भवानी कहा गया है। फ्रांसिसी बुकानन का यात्रा वृतांत के अनुसार 14 सितम्बर 1812 ई. को तुतला भवानी प्रतिमा प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध तथा देवी की दो प्रतिमा में। एक पुरानी और खंडित मूर्ति और दूसरी नई है। प्रतिमा के आस-पास अनेक शिलालेख में 8 वी सदी का शिलालेख शारदा लिपि एवं शिलालेख बारहवीं सदी के अनुसार खरवार वंशीय राजा धवल प्रताप देव द्वारा 19 अप्रैल 1158 ई. में तुतला भवानी की दूसरी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करायी गयी है।

तुतला भवानी मंदिर के समीप कैमूर पर्वत तुतला श्रंखला से तुतला झरना से कछुअर नदी प्रवाहित है।अष्टभुजी तुतला देवी की प्रतिमा गड़वाल कालीन मूर्ति कला से युक्त हैं। तुतला भवानी की प्रतिमा में दैत्य महिष की गर्दन से निकल ने पर देवी अपने दोनों हाथो से पकड़कर त्रिशूल से मार रही हैं। शारदीय नवरात्र की नवमी तथा श्रावण पूर्णिमा को रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के गांवों के लोग पहले तुतलेश्वरी माता की पूजा अर्चना कर कुलदेवता की पूजा अर्चना करते हैं। श्रावण माह में मेला तथा नवरात्र में नौ दिनों के मेले का आयोजन होता है। छाग बलि रिवाज है।

मंदिर प्रांगण में नवरात्र की नवमी तिथि की मध्य रात्रि में परियों द्वारा नृत्य-गीत के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। तुतलेश्वरी भवानी मंदिर के समीप की प्राकृतिक छटा मनोरम है। महिषासुर मंर्दिनी की प्रतिमा तुतराही जल प्रपात के मध्य में स्थापित है। रोहतास व कैमूर जिले का अद्भुत जल प्रपात है। मां तुतला भवानी मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन डेहरी-ऑन-सोन, निकटतम बस स्टैंड रामडिहरा आन-सोन है। रामडीहरा बस स्टैण्ड डेहरी-यदुनाथपुर पथ से 5 किमी. पश्चिम कैमूर पहाड़ी की घाटी में ऑटो रिक्शा उपलब्ध है। मंदिर से 100 मीटर की दूरी तक सड़क बनी हुई है। रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से मंदिर की दूरी 38 किमी तुतला झरना एवं तुतला भवानी मंदिर है।

इंद्रपुरी बराज परिभ्रमण


तुतला भवानी और तुतला झरना परिभ्रमण... मंदिर प्रांगण में नवरात्र की नवमी तिथि की मध्य रात्रि में परियों द्वारा नृत्य-गीत के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। तुतलेश्वरी भवानी मंदिर के समीप की प्राकृतिक छटा मनोरम है। महिषासुर मंर्दिनी की प्रतिमा तुतराही जल प्रपात के मध्य में स्थापित है। रोहतास व कैमूर जिले का अद्भुत जल प्रपात है। #सात्येन्द्र कुमार पाठक

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