साहित्य लहर

कविता : देश भक्ति

कविता : देश भक्ति… ना मन में है लालच न कुर्सी की चाहत हम तो हुए देश द्रोहियों से आहत, इस धरा को हृदय से नमन् चाहिए देश भक्ति में डूबा वतन चाहिए। अमृत- वाणी विवेका का कण-कण छुपा इस धरा पर यशोदा का स्नेह बिछा,… #डा उषाकिरण श्रीवास्तव

उन शहीदों को शत्-शत् नमन् चाहिए
देश भक्ति में डूबा वतन चाहिए।

भारत माता के हम सब कर्जदार है
जिनकी गोदी में हमको मिला प्यार है,
शानो-शौकत न शोहरत न धन चाहिए
देश भक्ति में डूबा वतन चाहिए।

ना मन में है लालच न कुर्सी की चाहत
हम तो हुए देश द्रोहियों से आहत,
इस धरा को हृदय से नमन् चाहिए
देश भक्ति में डूबा वतन चाहिए।

अमृत- वाणी विवेका का कण-कण छुपा
इस धरा पर यशोदा का स्नेह बिछा,
भारत भूमि में हमको अमन चाहिए
देश भक्ति में डूबा वतन चाहिए।

कविता : सावन की रिमझिम


कविता : देश भक्ति... ना मन में है लालच न कुर्सी की चाहत हम तो हुए देश द्रोहियों से आहत, इस धरा को हृदय से नमन् चाहिए देश भक्ति में डूबा वतन चाहिए। अमृत- वाणी विवेका का कण-कण छुपा इस धरा पर यशोदा का स्नेह बिछा,... #डा उषाकिरण श्रीवास्तव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights