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यादों का खजाना

यादों का खजाना… पुराने लोग आज भी एकांत में पुरानी चीजों को देखकर अपने जीवन की यादों क़ो ताजा करते हैं चूंकि वे उनका महत्व जानते हैं। ये यादें किसी अमूल्य धरोहर से कम नहीं है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे अद् भूत व अनोखें खजानें को सहेज कर रखना चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

आज हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में जिंदगी जी रहे हैं। जहां आज की पीढी किसी भी वस्तु को सहेज कर नहीं रखना चाहती है। वे किसी भी वस्तु का इस्तेमाल बंद तुरन्त फैंक देते है। उनके सिर पर धन दौलत की अंधी कमाई की पट्टी बंधी हुई है। वे वस्तुओं की कद्र तक करना नहीं जानते है। पहले टी वी से चिपके रहते थे और वे अब मोबाइल से चिपके रहते हैं।

जबकि पुराने लोग हर चीज को सहेज कर रखते थे। वे जानते थे कि न जाने कौन सी चीज की कब जरूरत पड जाये। गोपाल सिंह राठौड़ जब दैनिक समाचार पत्र में कार्यरत थे तब उन्होंने अपने साथियों के ग्रुप फ़ोटो एकत्र किये थे। इतना ही नही उन्हें सहेज कर भी रखा। साठ वर्ष की आयु के बाद एक दिन उन्होंने ये फोटों व्हाट्सएप पर अपने ग्रुप में डाल दी और लिख दिया अपनी फोटों पहचानिए।

बस फिर क्या था मित्रों के कमेंट्स आने आरम्भ हो गये। मित्रों की यादें ताजा हो गईं। फोटों देखकर एक दूसरे की स्मरण शक्ति का अंदाजा लगाया। यादों का खजाना पाकर सभी मित्र आनंदित हुए। चूंकि यादों को सहेजना भी अपने आप में एक रचनात्मक अभिरुचि का ही अंग हैं। क्योंकि यादें हैं तो सुनहरें दिन हैं। यादें है तो आनंद ही आनंद है। चेहरे पर मधु मुस्कान हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन में कोई भी चीज बेकार की नहीं है। जिसे कोई कबाडी नहीं लेते है वह भी पुरानी वस्तु किसी न किसी के काम की होती हैं। पुराने लोग तो आज भी पुरानी चीजों को सहेज कर रखते हैं , लेकिन आज की युवाशक्ति इसे समय की बर्बादी, अटाला और न जानें क्या क्या कहती है।

पुराने लोग आज भी एकांत में पुरानी चीजों को देखकर अपने जीवन की यादों क़ो ताजा करते हैं चूंकि वे उनका महत्व जानते हैं। ये यादें किसी अमूल्य धरोहर से कम नहीं है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे अद् भूत व अनोखें खजानें को सहेज कर रखना चाहिए। गोपाल जी ने अपने अनोखे व अनूठे खजाने को अपने साथियों तक पहुंचा कर सभी को इस खजाने का खजांची बना दिया।

अभिव्यक्ति के अनोखों रूप हैं जिसमें यह भी एक रचनात्मक स्वरूप जन जन के सामने आया। बस हर वस्तु की कद्र कीजिए, वक्त आने पर वह आपकों एक दिन देश विदेश की दुनियां का हीरों बना देगी। याद रखिए हीरे की कीमत सच्चा जौहरी ही जानता हैं, वरना वह तो कांच का टुकडा है।

शब्दों की माला


यादों का खजाना... पुराने लोग आज भी एकांत में पुरानी चीजों को देखकर अपने जीवन की यादों क़ो ताजा करते हैं चूंकि वे उनका महत्व जानते हैं। ये यादें किसी अमूल्य धरोहर से कम नहीं है। आज की युवा पीढ़ी को ऐसे अद् भूत व अनोखें खजानें को सहेज कर रखना चाहिए। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

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