उत्तराखण्ड समाचार

पिथौरागढ़ के लोग मजबूरी में पी रहे हैं दूषित जल, क्या कर रहा है जल विभाग

पिथौरागढ़ के लोग मजबूरी में पी रहे हैं दूषित जल, क्या कर रहा है जल विभाग, जिला मुख्यालय और आसपास के गांवों की प्यास बुझाने के लिए करीब 80 करोड़ की लागत से आंवलाघाट योजना बनाई गई है। इस योजना में फिल्टर प्लांट भी जरूर लगा होगा। मटमैला और गंदा पानी आने से यह प्लांट कार्य कर रहा है या नहीं इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। 

पिथौरागढ़। जिला मुख्यालय में पिछले पांच-छह दिन से लगातार दूषित पेयजल की आपूर्ति हो रही है। लोगों को मजबूरी में यही पानी पीना पड़ रहा है। इससे उनमें काफी रोष भी पनप रहा है। दूषित पानी की समस्या को देखते हुए मुख्य विकास अधिकारी ने जल महकमे के अधिकारियों से वार्ता की। जिला मुख्यालय और आसपास के गांवों में अधिकांश पानी की आपूर्ति आंवलाघाट पंपिंग पेयजल योजना से की जाती है। पिछले कई दिनों से उपभोक्ताओं के नलों से मटमैला पानी आ रहा है।

पानी के साथ मिट्टी भी आ रही है। इससे लोग खासे परेशान हैं। नगर क्षेत्र में अधिकांश लोग दूषित पेयजल आने की शिकायत कर रहे हैं। शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी नंदन कुमार ने जल निगम और जल संस्थान के अभियंताओं से इस संबंध में वार्ता की। बताया जा रहा है कि बक्सील गधेरे से ग्रेविटी का जो पानी टैंक में आ रहा है वह दूषित है। इस संबंध में निर्देश दिए गए कि क्षेत्र में जिस दिन बारिश होगी उस दिन बक्सील गधेरे से पानी टेप नहीं किया जाएगा।

जिला मुख्यालय और आसपास के गांवों की प्यास बुझाने के लिए करीब 80 करोड़ की लागत से आंवलाघाट योजना बनाई गई है। इस योजना में फिल्टर प्लांट भी जरूर लगा होगा। मटमैला और गंदा पानी आने से यह प्लांट कार्य कर रहा है या नहीं इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस संबंध में जब अधिशासी अभियंता जल निगम से वार्ता करनी चाही तो उनका मोबाइल ही रिसीव नहीं हुआ।

विद्युत विभाग की ओर से लापिंग-चापिंग का कार्य किए जाने से घाट पंपिंग पेयजल योजना का 22 मई को शट डाउन लिया गया था। लाइन में एक जगह ट्रांसफार्मर बदलने का कार्य भी किया जाना था। इसके चलते पानी पंप नहीं होने से हनुमान मंदिर जोन और पियाना क्षेत्र में आपूर्ति नहीं हो पाई। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता सुरेश चंद्र जोशी ने बताया कि शनिवार से पेयजल आपूर्ति सुचारु हो जाएगा।

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पिथौरागढ़ के लोग मजबूरी में पी रहे हैं दूषित जल, क्या कर रहा है जल विभाग, जिला मुख्यालय और आसपास के गांवों की प्यास बुझाने के लिए करीब 80 करोड़ की लागत से आंवलाघाट योजना बनाई गई है। इस योजना में फिल्टर प्लांट भी जरूर लगा होगा। मटमैला और गंदा पानी आने से यह प्लांट कार्य कर रहा है या नहीं इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। 

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