पर्यटन

पर्यटन : मनुष्य के मन को ताजगी से भरते हैं पर्यटन स्थल

पर्यटन : मनुष्य के मन को ताजगी से भरते हैं पर्यटन स्थल, घूमने निकलता है या अपने दोस्तों के साथ, मौज-मस्ती करना उनकी दिनचर्या की प्राथमिकी होती है। क्योंकि पयर्टन का अर्थ है कि अपनी परेशानियों को दूर रखकर, अपने काम से दूर हटकर और…

पर्यटन एक ऐसा शब्द है, जिसका अर्थ और तात्पर्य भी पर्यटन ही समझ में आता है। पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र में जिसमें प्रत्येक इनसान को शांति और सुकून मिलता है। यदि देश के पयर्टकों के लिए पर्यटन की बात करें तो सबसे पहले एक शब्द सामने आता है, जिसे पर्यटन स्थल कहा जाता है। हमारे देश में अनेक पर्यटक स्थल और पर्यटन स्थल हैं, जहां पर्यटन के लिए लोगों की आवाजाही हमेशा रहती है।

एक पर्यटक, अपने परिवार के साथ घूमने निकलता है या अपने दोस्तों के साथ, मौज-मस्ती करना उनकी दिनचर्या की प्राथमिकी होती है। क्योंकि पयर्टन का अर्थ है कि अपनी परेशानियों को दूर रखकर, अपने काम से दूर हटकर और अपने दुखों को भुलाकर जितना हो सके उतना खुशी के पलों का आनन्द उठायें। हमारे देश में अनेक पयर्टक स्थल ऐसे हैं कि जो रोते-बिलखते के चेहरे पर मुस्कान ले आयें।

वर्तमान में पर्यटन स्थलों में मुख्यतः देखें तो कोकणातील पर्यटन स्थल, पुणे पर्यटन स्थल, विश्व पर्यटन दिवस, महाराष्ट्रातील पर्यटन स्थल और धार्मिक पर्यटन स्थलों की बात ज्यादा सामने आती है। लेकिन इनके अतिरिक्त भी अनेक ऐसे पयर्टक स्थल हैं, जो हमसे अछूते हो सकते हैं, परन्तु अपने स्थान पर उनका अस्तित्व हमेशा कायम रहता है। तो आईए चलते हैं पर्यटन स्थलों की ओर और जानते हैं पर्यटन का अर्थ और पर्यटकों की पसंद को…

गोवा की प्राकृतिक सुंदरता

पर्यटन स्थलों में युवाओं की दृष्टि गोवा के बीचों पर टिकी रहती है। लेकिन धार्मिक दृष्टि से बात करें तो गोवा के प्रसिद्ध मंदिरों की बात करें तो इनमें श्री कामाक्षी, सप्तकेटेश्वर, श्री शांतादुर्ग, महालसा नारायणी, परनेम का भगवती मंदिर और महालक्ष्मी आदि दर्शनीय है। गोवा में किराए पर बाइक, स्कूटी और कार आसानी से मिल जाती हैं। दिन भर घूमने के लिए सबसे सस्ते परिवहन के विकल्प यही हैं। गोवा भले भारत का सबसे छोटा राज्य हो लेकिन अपनी प्राकृतिक खूबसूरती की बदौलत यह देशी विदेशी पर्यटकों की सर्वाधिक तादाद को आकर्षित करने वाला प्रदेश भी है।

युवा सैलानियों के लिए तो गोवा में वह सब कुछ है जिसकी वह कल्पना कर सकते हैं तो दूसरी ओर शांत वातावरण में समय गुजरने के इच्छुक लोगों के लिए भी गोवा में काफी कुछ है। पूरी दुनिया में गोवा अपने सुन्दर समुद्र के किनारों और प्रसिद्ध स्थापत्य के लिये जाना जाता है। गोवा पहले पुर्तगाल का उपनिवेश था। पुर्तगालियों ने गोवा पर लगभग 450 सालों तक शासन किया और 19 दिसंबर 1961 को यह भारतीय प्रशासन को सौंपा गया।



इसके अलावा गोवा में कैसिनो जाकर एक बार जरूर देखें। यहां पर तमाम तरह के पब और नाइट क्लब भी हैं। साथ ही मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है।



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दिल्ली का चिड़ियाघर

पर्यटन स्थलों में देश की राजधानी दिल्ली में स्थित चिड़ियाघर भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक है। इस चिड़ियाघर का निर्माण 1959 में श्रीलंका के डिज़ाइनर मेजर वाइनमेन और पश्चिम जर्मनी के कार्ल हेगलबेक ने किया था। यह चिड़ियाघर दिल्ली के पुराने किले के पास स्थित है। यह चिड़ियाघर 214 एकड़ में फैला हुआ है, यहाँ जानवरों और पक्षियों की 22000 प्रजातियां और 200 प्रकार के पेड़ हैं। इस चिड़ियाघर में एक पुस्तकालय भी है जहां पर्यटक पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।



मल्लाली फॉल्स

पर्यटन स्थलों में एक नाम है मल्लाली फॉल्स, जो कि पुष्पागिरी पहाड़ियों की तलहटी में है और 62 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यह फॉल्स कूर्ग के एक खूबसूरत झरना है। इसका निर्माण कुमारधारा नदी से होता है। इस झरने के नजदीक एक गांव है, जहां से झरने तक पैदल ही जा सकते हैं। यहां पयर्टन की दृष्टि से घूमना मानसून के समय में सबसे अच्छा है।



अंगकोरवाट मंदिर की सीढ़ियां

पर्यटन स्थलों में अगकोरवाट, जो कि पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक स्थल भी है। अंगकोरवाट मंदिर का नाम तो हम सबने ही सुना है लेकिन क्या आपने यहाँ की सीढ़ियों के बारें में सुना है। दोस्तों ये सीढ़ियां 70 प्रतिशत झुकी हुयी है। इन सीढ़ियों पर चढ़ने या उतरने के लिए आपको रस्सियों का सहारा लेना पड़ता है। कहते है कि यह सीढ़ियां लोगो को यह बताती है की स्वर्ग की सीढ़ियों पर चढ़ना भी इतना ही मुश्किल है। यह भगवान विष्णु का सबसे बड़ा मंदिर है और कम्बोडिया में स्थित है।



चेन्नई का चिड़ियाघर

पर्यटन स्थलों में चेन्नई में स्थित अरिनगर अन्ना जुलॉजिकल पार्क भारत का सबसे बड़ा चिड़ियाघर है। यह देश का सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध चिड़ियाघर है और इसे देश का पहला पब्लिक जू भी कहा जाता है। इस चिड़ियाघर को पहले मद्रास जू के नाम से जाना जाता था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर तमिल नेता अरिनगर अन्ना के नाम पर कर दिया गया। यह चिड़ियाघर लगभग 1300 एकड़ में फैला हुआ है और यहाँ 1500 से ज्यादा पशु-पक्षियों की प्रजातियां मौजूद हैं। इसके साथ ही इस चिड़ियाघर में पेड़-पौधों की 2553 प्रजातियाँ मौजूद हैं।



अनमोल उपहार है रूपकुंड

पर्यटन स्थलों में और धार्मिक स्थलों में देवभूमि उत्तराखण्ड का नाम भी लिया जाता है। उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित रमणीक स्थल रूपकुंड पर्यटन मानचित्र पर अब छा चुका है। चमोली जिले के सीमान्त देवाल विकास खंड में समुद्र तल से 16200 फुट की ऊंचाई पर नंदाकोट, नंदाघाट और त्रिशूल जैसे विशाल हिम पर्वत शिखरों की छांव में चट्टानों तथा पत्थरों के विस्तार के बीच फैला हुआ प्रकृति का अनमोल उपहार रूपकुंड एक ऐसा मनोरम स्थल है जो अपनी स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, दिव्य, अनूठे रहस्यमय स्वरूप और नयनाभिराम दृश्यों के लिए जाना जाता है।



कहा जाता है कि वेदों की रचना यहीं पर की गई थी। यहां मौजूद एक छोटे कुंड में किया गया तर्पण पूर्वजों के लिए कल्याणकारी माना जाता है। अगले 18 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद पर्यटक रूपकुंड के पास पहुंच जाता है। इस दिव्य कुंड की अथाह गहराई, कटोरेनुमा आकार तथा चारों ओर बिखरे नर कंकाल व वातावरण में फैले गहन निस्तब्धता से मन में कौतूहल व जिज्ञासा का ज्वार उत्पन्न हो जाता है।



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रूपकुंड के रहस्य का प्रमुख कारण ये नर कंकाल ही हैं जो न केवल इसके इर्द−गिर्द दिखते हैं बल्कि तालाब में इनकी परछाइयां भी दिखाई पड़ती हैं। इन अस्थि अवशेषों के विषय में क्षेत्रवासियों में अनेक प्रकार की किवदन्तियां प्रचलित हैं जिन्हें सुनकर पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं। वर्षों से पुरातत्ववेत्ता व इतिहासकार इन नर कंकालों के रहस्य का पता लगाने में जुटे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस और सर्वमान्य हल नहीं निकाल पाए हैं।



मैसूर का चिड़ियाघर

पर्यटन स्थलों में कर्नाटक के मैसूर में स्थित चिड़ियाघर दुनिया के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इस चिड़ियाघर का निर्माण 1892 में शाही संरक्षण में हुआ था। इस चिड़ियाघर में 40 से भी ज्यादा देशों से लाए गए जानवरों को देखा जा सकता है। यहां हाथी, सफेद मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला के अलावा देश-विदेश की कई प्रजातियां हैं। इसके अलावा यहाँ भारतीय और विदेशी पेड़ों की करीब 85 से ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं। इस चिड़ियाघर में करंजी झील भी है, जहां हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं।



अधिक जानकारी के लिए नीचे दिये गये लिंकों से देख सकते हैं-


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