पर्यटन

बोधगया : महात्मा बुद्ध की ज्ञान स्थली

बोधगया : महात्मा बुद्ध की ज्ञान स्थली, यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है . इतिहासकारों के अनुसार यहां इस मंदिर को गुप्त काल में बनवाया गया था . यह मंदिर बोधिवृक्ष के बगल में स्थित है . बोधगया

राजीव कुमार झा

बौद्धधर्म का नाम सारे संसार के लोग जानते हैं और इस धर्म को महात्मा बुद्ध ने स्थापित किया था . उन्होंने अपने धर्म में सत्य और अहिंसा को मनुष्य के जीवन का सबसे महान व्रत माना और सारे संसार को शांति, मैत्री और प्रेम का संदेश दिया. महात्मा बुद्ध का जन्म छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था और उनके पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु के राजा थे महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था. कहा जाता है कि राजकुमार सिद्धार्थ के मन में बाल्यावस्था से ही सांसारिक जीवन के प्रति कोई माया मोह का भाव नहीं था।

वह निरंतर चिंतन मनन में लीन रहते थे और संसार में रोग, मृत्यु, जरा (बुढ़ापा) इन दुखों को देखकर विचलित रहते थे इसलिए सांसारिक जीवन के प्रति इनके मन में आकर्षण का भाव जाग्रत करने के ख्याल से इनके पिता ने इनका विवाह यशोधरा नाम की एक अत्यंत रूपवती राजकुमारी से कर दिया लेकिन इसके बावजूद राजकुमार सिद्धार्थ एक दिन मध्यरात्रि में अपने पुत्र राहुल और पत्नी यशोधरा को निद्रावस्था में छोड़कर राजमहल से निकल पड़ और बोधगया में आकर ज्ञान प्राप्ति के लिए तपस्या करने लगे और कई सालों की तपस्या के बाद यहां एक पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआl

बोधगया को बौद्ध धर्मावलंबी इसलिए इसे अपना महान तीर्थस्थल मानते हैं और यहां सारे संसार से लोगों का सालोंभर आगमन होता रहता है. बौद्ध ग्रंथों में बोधगया को उरुवेला के नाम से पुकारा गया है और यह गया शहर से पन्द्रह किलोमीटर दूर स्थित है! यहां की प्राकृतिक सुषमा अद्भुत है और राजकुमार सिद्धार्थ को जिस पीपल के पेड़ के नीचे यहां ज्ञान प्राप्त हुआ था वहां पर स्थित महाबोधि मंदिर की भव्यता इस प्राचीन स्थल की सुंदरता को ऐतिहासिक गरिमा प्रदान करती है।

यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है . इतिहासकारों के अनुसार यहां इस मंदिर को गुप्त काल में बनवाया गया था . यह मंदिर बोधिवृक्ष के बगल में स्थित है . बोधगया में पीपल के जिस वृक्ष के नीचे राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी , उस वृक्ष को यहां बोधिवृक्ष कहा जाता है .यह एक पवित्र वृक्ष है और इसके बारे में जनश्रुति है कि मौर्य सम्राट अशोक का पुत्र महेन्द्र और उसकी पुत्री संघमित्रा जब बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए श्रीलंका रवाना हुए थे तो अपने साथ महाबोधि वृक्ष की टहनियां भी साथ में लेकर गये थे और उससे उगा वृक्ष आज भी वहां विद्यमान है।

बोधगया के संग्रहालय में बलुआ पत्थर की निर्मित कुछ वेदिकाएं भी रखी हुई हैं और इनको इतिहासकार शुंगकाल की स्थापत्य सामग्री के रूप में देखते हैं. मौर्य काल में अशोक के द्वारा यहां धर्म स्तंभ को स्थापित करने के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है. महाबोधि मंदिर के पास में यहां एक सुंदर तालाब स्थित है और इससे थोड़ी दूर पर यहां कुछ प्राचीन बौद्ध विहारों के पुरावशेषों का उत्खनन हुआ है।

बोधगया निरंजना नाम की सुंदर नदी के किनारे बसा है और इस नदी के दूसरे तट पर सुंदर पहाड़ दिखाई देते हैं . इनके पास सुजाता का गांव स्थित है. सुजाता उरुवेला में फल्गु नदी के इस पार रहने वाली एक ग्रामकन्या थी. उसके बारे में कहा जाता है कि जब उसने राजकुमार सिद्धार्थ को कठिन तपस्या में लीन जीवन और मरण से संघर्षरत देखा था तब उसने किसी दिन सुबह में कटोरे में खीर लाकर उन्हें खिलाया था और दुस्सह तप के मार्ग पर चलने से मना किया था इसलिए महात्मा बुद्ध का धर्म दर्शन मध्यम मार्ग पर आधारित है.

रामधारी सिंह दिनकर ने अपने एक गीत में सुजाता के प्रति राजकुमार सिद्धार्थ के हृदय के उद्गारों को बहुत ही सुन्दरता से प्रकट किया है:

“तुम्हारे हाथों की यह खीर मां बल दे ! मैं तोड़ सकूं, भव की दारूण जंजीर!
यहां जन्म से मरण काल तक केवल दुख ही दुख है
वह भी है निस्सार दिखता जहां तहां जो सुख है!
फूलों सा खिलकर, झड़ पड़ता मनुज शरीर !
तुम्हारे हाथों की यह खीर”

उत्तर पश्चिम बंगाल का प्रमुख नगर “सिलीगुड़ी”


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

बोधगया : महात्मा बुद्ध की ज्ञान स्थली, यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है . इतिहासकारों के अनुसार यहां इस मंदिर को गुप्त काल में बनवाया गया था . यह मंदिर बोधिवृक्ष के बगल में स्थित है . बोधगया
From »

राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

Address »
इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

यात्रा वृत्तांत : जाड़े के मौसम में गोवा के समुद्र तट की यादें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights