नशा जीवन का नाश करता है…

सुनील कुमार माथुर
नशा जीवन का नाश करता है। नशा किसी भी चीज का क्यों न हो वह हमेशा इंसान को बर्बाद ही करता हैं अगर नशा करना हैं तो उस परमपिता परमेश्वर की भक्ति का नशा कीजिए जिसके करने से यह लोक और परलोक दोनों ही सुधर जायें और जीवन भक्तिमय हो जायें। ईश्वर की पूजा पाठ करें । भजन – कीर्तन करें ।
कथा सुनें और दीन दुखियों की सेवा करें फिर देखिये कि भक्ति का नशा आपके जीवन में कैसे खुशियों की बाहर लाता हैं । इस नशे की महक कहां – कहां तक फैलती है आप खुद नहीं समझ पायेंगे । जीवन जीओं शान से और पानी पीओ छानकर । जब हमें यह अमूल्य मानव जीवन प्रभु ने दिया हैं तो उसी के नाम का नशा कीजिए ।
आज की युवा पीढ़ी नशे की जिस तरह से आदी हो रही है उसने उनका भविष्य ही चौपट कर दिया हैं । आज का युवा अवसाद , शौक , मौज मस्ती व खुद को हाई – फाई दिखाने के चक्कर में नशा कर रहा हैं तो दूसरी ओर श्रमिक वर्ग इस गलत फहमी में नशा कर रहा कि नशे करने से कार्य क्षमता में वृध्दि होती है और वे आधिक देर तक कार्य कर अधिक धन कमा सकते हैं । वे नशा करते समय यह भूल जाते है कि ऐसा सोच कर वे अपना ही धन और शरीर को बर्बाद कर रहें है ।
इस तरह की सोच का ही यह परिणाम है कि आज नशीले पदार्थों के दाम बढ रहें है और इनका अवैध कारोबार धडल्ले से पनप रहा हैं । शुरुआत में शौकिया , दोस्तों की फरमाइश से नशा आरम्भ होता हैं और फिर यह आदत हो जाती हैं जिसके बिना नशा करने वाला रह नहीं सकता हैं और धन के अभाव में वह चोरी चकारी भी करने लगता है । धन के लिए वह परिवार वालों से मारपीट भी करता है और कई बार जघन्य अपराध तक कर बैठता हैं । जब तक वह कुछ समझ पाता हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती हैं ।
याद रखिये कि आप शराब को नहीं पी रहें है अपितु शराब आपकों पी रहीं है । यह इस देश का दुभाग्य ही हैं कि यहां कि सरकारें दौहरी नीति अपनाती है । एक तरफ वह कहती है कि नशा स्वास्थ्य का दुश्मन हैं और नशे से दूर रहें ।
नशा नहीं करें और इससे होने वाली हानियों को दर्शाते हुए प्रदर्नियां लगाई जाती हैं नशा मुक्ति केन्द्र खोले जाते हैं वही दूसरी ओर शराब , भांग , डोडे की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करती हैं । सरकारी शराब , भांग , डोडे की दुकानें खोली जाती हैं । यह कैसी लोक कल्याणकारी सरकार जो जनता-जनार्दन के स्वास्थ्य से खिलवाड करने के लिए लाइसेंस जारी करती हैं ।
नशा शरीर में आंतरिक क्षमता को कमजोर करता हैं वहीं दूसरी ओर नशे से व्यक्ति में डिप्रेशन और बढता हैं । नशा एक ऐसी बुराई हैं जो हमारे जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर देता हैं । नशे की लत से पीडित व्यक्ति समाज की नजरों में गिर जाता हैं और लोग उसे न केवल नशेडी , शराबी , भंगोडी ही कहते हैं अपितु उसको हर कोई इस धरती पर बोझ समझता हैं । यहां तक की नशेडी के बच्चे भी कहते हैं कि टून हैं ।
नशे से धन और शरीर दोनों की हानि होती हैं । अतः इस सामाजिक अभिशाप से दूर ही रहें । चूंकि नशे में डूबा व्यक्ति अपने अच्छे – बुरे की पहचान खो देता हैं अतः नशा करों तो प्रभु की भक्ति का करों । नशा करों तो सभी के साथ समान व्यवहार करने का करों । नशा करों तो दीन दुखियों की सेवा करने का करों ।
नशा करों तो मूक जीव – जन्तुओं व पशुओं की सेवा करने का करों । शराब , भांग , गांजा , डोडा स्मैक, कंकीन , गुटका के नशे आपका जीवन बर्बाद कर रहें है । अतः इस तरह के नशे से बचें और अपने धन व अमूल्य जीवन को बर्बाद होने से बचाये । नशे पर खर्च होने वाला धन परिवार के लिए खर्च करें ।
बच्चों को फल – फ्रूट खिलाएं । अच्छा भोजन करायें उच्च शिक्षा दिलाएं । उन्हें घुमाने – फिराने ले जायें । अच्छे वस्त्र पहनाएं । उनके साथ बैठकर गपशप करें फिर देखिये कि भक्ति का नशा क्या – क्या गुल खिलाता हैं । आपके शरीर , परिवार का नक्शा ही बदल जायेगा । अतः आज से ही और अभी से ही यह संकल्प लें कि मैं अब जीवन में किसी प्रकार का नशा नहीं करूंगा । मुझे जो नशा करना हैं वह केवल प्रभु की भक्ति का ही नशा करना हैं ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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