साहित्य लहर

कविता : सावन की रिमझिम

सावन की रिमझिम… प्यार की कसम खाकर जंगल के रास्ते में कभी कोई कहानी दिल से सुनाऊंगा मेले में सर्कस दिखाऊंगा चाट पूड़ी गोलगप्पे खिलाऊंगा सावन की रिमझिम बरसात में तुम भीग जाओगी चांदनी रात में याद आओगी… #राजीव कुमार झा

यह प्यार सोना
और चांदी लगता
नदी का पानी
ठहर कर कहता
मुझे धूप के पार
पाना
शाम के धुंधलके में

जिंदगी का गीत
गाना
चांद के रोशनी की
छांव में
सबको लगता
यह आंगन सुहाना

तुमको
प्यार की कसम
खाकर
जंगल के रास्ते में
कभी कोई कहानी
दिल से सुनाऊंगा

मेले में सर्कस
दिखाऊंगा
चाट पूड़ी गोलगप्पे
खिलाऊंगा
सावन की रिमझिम
बरसात में
तुम भीग जाओगी
चांदनी रात में
याद आओगी

कविता : संत महान


सावन की रिमझिम... प्यार की कसम खाकर जंगल के रास्ते में कभी कोई कहानी दिल से सुनाऊंगा मेले में सर्कस दिखाऊंगा चाट पूड़ी गोलगप्पे खिलाऊंगा सावन की रिमझिम बरसात में तुम भीग जाओगी चांदनी रात में याद आओगी... #राजीव कुमार झा

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights