कविता : माटी के गणेश
माटी के गणेश… माटी मिले हमें स्त्रोत अपार माटी ही करे जग का कल्याण इस माटी में छुपी अपार खान।। माटी से सुंदर बनती हैं मूर्तियां, सूक्ष्म रूप में सुंदर बनाना तुम प्रदूषण से संसार बचना तुम घर में ही माटी की मूर्ति बनाना तुम।। माटी के गणेश निर्मित करके #आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका), मध्य प्रदेश, ग्वालियर, भारत
मत फैलाना प्रदूषण तुम
पी ओ पी के विचारों का
लेकर आना अपने घर पर
सिर्फ माटी के ही गणेश।।
माटी ही जग में सुंदर हैं,
माटी की ही जब ये काया
माटी में निर्मित होता अन्न,
माटी से बना संसार सारा।।
माटी से साकारत्मक विचार,
माटी मिले हमें स्त्रोत अपार
माटी ही करे जग का कल्याण
इस माटी में छुपी अपार खान।।
माटी से सुंदर बनती हैं मूर्तियां,
सूक्ष्म रूप में सुंदर बनाना तुम
प्रदूषण से संसार बचना तुम
घर में ही माटी की मूर्ति बनाना तुम।।
माटी के गणेश निर्मित करके
गमले में एक पौधा लगाना तुम,
सुंदर चौक पुराना प्रभु जी का
श्री गणेश को भादो झूला झूलना तुम।।
श्रीमती प्रतिभा दुबे को दिया गया राष्ट्रीय मधुकर शक्ति आराधना सम्मान